केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर में खनन माफिया के खिलाफ कार्रवाई करने वाली निलंबित आईएएस अधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल को न्याय का भरोसा दिलाया है। कार्मिक राज्य मंत्री वी नारायणसामी ने अखिल भारतीय आईएएस अधिकारी संघ के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ मुलाकात के दौरान यह भरोसा दिया।
आईएएस अधिकारी संघ के सचिव संजय बी भूस रेड्डी ने इस मुलाकात के बाद संवाददाताओं को बताया कि मंत्री ने हमें भरोसा दिलाया है कि वह सभी तथ्यों को देखेंगे। मुझे भरोसा दिया गया है कि मामले में न्याय होगा। करीब 4,737 सदस्यों वाले इस संघ ने दुर्गा के निलंबन को तत्काल वापस लेने की मांग की है।
आईएएस के निजी मामलों को लेकर नोडल विभाग के तौर पर काम करने वाले कार्मिक मंत्रालय को अभी उत्तर प्रदेश सरकार से निलंबन के मामले में रिपोर्ट का इंतजार है। साल 2010 की उत्तर प्रदेश बैच की आईएएस अधिकारी दुर्गा को बीते 27 जुलाई को एक धार्मिक स्थल की दीवार को गिराने के लिए कथित तौर पर आदेश देने के मामले में निलंबित कर दिया गया था।
गौतम बुद्ध नगर में उप जिला अधिकारी के पद पर तैनात रहीं दुर्गा खनन माफिया के खिलाफ कार्रवाई कर रही थीं। फिलहाल उन्हें लखनऊ में राजस्व बोर्ड में भेज दिया गया है।
केन्द्रीय कार्मिक राज्य मंत्री वी. नारायणसामी ने कहा कि आईएएस अधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल के निलंबन के बारे में उत्तर प्रदेश सरकार से अभी तक कोई रिपोर्ट नहीं मिली है तथा उसके आने के बाद इस मामले में नियमानुसार कार्रवाई की जायेगी।
नारायणसामी ने संवाददाताओं से कहा कि राज्य सरकार से इस बारे में रिपोर्ट मांगी गयी है, लेकिन अब तक उसकी ओर से कोई जानकारी नहीं मिली है। रिपोर्ट आने पर इस मामले में नियमानुसार कार्रवाई की जायेगी। उन्होंने कहा कि आईएएस एसोसियेशन के प्रतिनिधियों ने उन्हें बताया है कि किसी अधिकारी के निलंबन से पहले उसे इसका कारण बताया जाता है जो इस मामले में नहीं किया गया है।
उधर, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने नोएडा की उपजिलाधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल के निलम्बन की कार्रवाई को सही करार देते हुए आज कहा कि जो भी अधिकारी गैरजिम्मेदाराना तरीके से काम करेगा और उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।
अखिलेश ने यहां राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक के बाद संवाददाताओं से बातचीत में दुर्गा शक्ति से जुड़े प्रकरण सम्बन्धी सवाल पर कहा कि नोएडा के कादलपुर गांव में मुसलमान चंदा इकट्ठा करके मस्जिद बनाना चाहते थे। उपजिलाधिकारी ने किसी से राय-मशविरा किये बगैर कार्रवाई की। इससे वहां का माहौल खराब हुआ।
उन्होंने कहा इस घटना से पूरे प्रदेश का माहौल खराब हो सकता था। अधिकारियों को जिम्मेदारी से काम करना पड़ेगा। सरकार ने ठीक कार्रवाई की है।
अखिलेश ने साफ किया कि दुर्गाशक्ति के निलम्बन के पीछे खनन माफिया का कोई हाथ नहीं था। उन्होंने कहा कि माहौल ठीक रखना प्रशासन की जिम्मेदारी है। अगर कहीं माहौल खराब होता है तो अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई होगी ही। एक तरफ तो आप (मीडिया) कहते हैं कि कार्रवाई नहीं हो रही है, जब होती है तो सवाल खड़े करते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा हम खुद नहीं चाहते कि किसी अधिकारी के साथ गलत बर्ताव हो। जहां तक अधिकारी द्वारा अपना पक्ष रखने की बात है तो वह अपनी बात कहे।
गौतमबुद्धनगर के जिलाधिकारी द्वारा इस मामले में भेजी गयी रिपोर्ट के बारे में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री ने कहा जिलाधिकारी की क्या रिपोर्ट है, एलआईयू की क्या है, उसकी भी आप जानकारी कर लें। जो कार्रवाई हुई है, ठीक हुई है। जो बात सामने आयेगी वह आपके :मीडिया: के सामने भी आयेगी।
प्रदेश के वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने भी कल दुर्गाशक्ति के खिलाफ निलम्बन की कार्रवाई को सही ठहराया था। उन्होंने कहा था कि सरकार लापरवाही बरतने वाले किसी भी अफसर के खिलाफ कार्रवाई करेगी और दुर्गाशक्ति के खिलाफ भी वही कार्रवाई हुई है। इसमें खनन माफिया की कोई भूमिका नहीं है।
गौरतलब है कि दुर्गाशक्ति को गौतमबुद्धनगर सदर तहसील के रबुपुरा क्षेत्र स्थित कादलपुर गांव में एक निर्माणीधीन मस्जिद की दीवार को अदूरदर्शितापूर्ण तरीके से हटवाने के कारण साम्प्रदायिक सौहार्द प्रभावित होने के आरोप में 27 जुलाई की रात को निलम्बित करके उन्हें राजस्व परिषद लखनउ से सम्बद्ध कर दिया गया था।
दुर्गाशक्ति ने हाल के दिनों में नोएडा में यमुना और हिन्डन नदी के तटवर्ती इलाकों में चल रहे अवैध खनन के विरद्ध अभियान चला रखा था और अवैध खनन के मामले में लगभग दो दर्जन प्राथमिकियां दर्ज करवायी थीं। विपक्षी दलों ने आरोप लगाया था कि दुर्गाशक्ति का निलम्बन सत्तारढ़ दल से जुड़े अवैध खनन माफियाओं के दबाव में किया गया है।
वर्ष 2010 बैच की इस आईएएस अफसर के निलम्बन मामले को चुनौती देते हुए एक जनहित याचिका इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के रजिस्ट्री विभाग में दायर की गयी है।
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