Sunday 4 August 2013

जलवायु परिवर्तन से बढ़ रही है हिंसा की प्रवृत्ति

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जलवायु परिवर्तन का इंसान से गहरा संबंध है और इसकी वजह से वैश्विक स्तर पर आज मानव स्वभाव में उत्तेजना, हिंसा और संघर्ष की प्रवृत्ति तेजी से बढ़ रही है। यहां तक की सूखा पड़ना या तापमान का सामान्य से अधिक रहने, ज्यादा बारिश होने अथवा बाढ़ तथा अन्य प्राकृतिक आपदाओं के प्रकोप के कारण भी इंसान के स्वभाव में बड़ी तेजी से बदलाव आ रहा है।
यह खुलासा कैलीफोर्निया विश्वविद्यालय में हाल में हुए एक शोध से सामने आया है। साइंस जर्नल में प्रकाशित इस शोध में कहा गया है कि सूखा और समान्य से मामूली अधिक तापमान के कारण भी मानव स्वभाव में आक्रामता बढ़ जाती है। शोध में यह नहीं कहा गया है कि जलवायु और हिंसा के बीच ऐसे कौन से कारक है जिसकी वजह से मानव हिंसा संघर्ष और आक्रामता की ओर अग्रसर हो रहा है। शोध में कहा गया है कि आदिकाल से ही अत्यधिक बारिश अथवा गरमी के अपने स्तर से जरा भी आगे खिसकने से मनुष्य के स्वभाव में हिंसा और आक्रामता बढ़ने का जोखिम बढ़ जाता है। शोध पत्र के सहयोगी लेखक मार्शल बुर्के ने कहा है कि कि इस शोध में उन्होंने पाया कि कम गरमी वाली जगह से ज्यादा गरमी वाले वातावरण में पहुंचने पर इंसान के स्वभाव में बदलाव आता है और उसमें हिंसा चार प्रतिशत बढ़ जाती है, जबकि एक समूह के बीच इस स्थिति में हिंसा की दर 14 प्रतिशत तक बढ़ती है। शोधकर्ता यह नहीं बता सके कि मानव स्वभाव में तथा जलवायु परिवर्तन में इस तरह के बदलाव का संबंध क्या हो सकता है। वातावरण में बदलाव के कारण मानव स्वभाव के आक्रामक बढ़ने के निष्कर्ष पर शोधकर्ता ब्राजील, चीन, जर्मनी, सोमालिया तथा अमेरिका आदि देशों से प्राप्त डाटा के आधार पर पहुंचे हैं। उनका कहना है कि धरती का वातावरण मानव स्वभाव को अत्यधिक प्रभावित करता है। डाटा के आधार पर वैज्ञानिकों ने दुनिया के कई देशों से उदाहरण लिए और माना है कि भारत और ऑस्ट्रेलिया में घरेलू हिंसा, अमेरिका और तंजानिया में मारपीट और हत्या की बढ़ती घटनाएं, यूरोप तथा दक्षिण एशिया में जातीय हिंसा, नीदरलैंड में पुलिस का बल प्रयोग करना, पूरे उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में नागरिक संघर्ष के साथ ही म्यांमार और चीनी साम्राज्य के पतन की वजह जलवायु परिवर्तन ही है। शोध में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन और मानव हिंसा और आक्रामता पर पहले हुए 60 शोध कार्यों के साथ ही 45 अन्य किस्म के डाटा को भी शामिल किया गया है और उसके विश्लेषण के बाद जो परिणाम आए वे चौंकाने वाले निकले हैं। शोध में इस बात पर विशेष ध्यान दिया गया कि दुनिया में विभिन्न क्षेत्रों का तापमान अलग-अलग है और वहां किस तरह के बदलाव इंसान की प्रवृत्ति में आए हैं। शोध पत्र के सहयोगी लेखक मार्शल बुर्के ने कहा है कि कि इस शोध में उन्होंने पाया कि कम गर्मी वाली जगह से ज्यादा गर्मी वाले वातावरण में पहुंचने पर इंसान के स्वभाव में बदलाव आता है और उसमें हिंसा चार प्रतिशत बढ़ जाती है, जबकि एक समूह के बीच इस स्थिति में हिंसा की दर 14 प्रतिशत तक बढ़ती है। शोधकर्ता यह नहीं बता सके कि मानव स्वभाव में तथा जलवायु परिवर्तन में इस तरह के बदलाव का संबंध क्या हो सकता है।

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