Monday 20 February 2012

अपने देश का यह शख्स है आतंक की दुनिया का सबसे खूंखार 'आका'

'सुपारी किलर...' एपिसोड-6 

 
80 के दशक में मुंबई में स्मग्लिंग से लेकर अपराध के हर तरीकों पर वरदराजन मुदलियार, करीम लाला, मस्तान मिर्जा उर्फ़ हाजी मस्तान का नाम एक 'ब्रांड' बन चुका था. इनके लिए ब्रांड शब्द का इस्तेमाल थोड़ा अटपटा जरुर लगता है, लेकिन ये छोटा सा शब्द काली दुनिया के इनके बड़े साम्राज्य को समझने का बस एक शॉर्टकट तरीका है. 

 
वरदराजन मुदलियार, हाजी मस्तान और करीम लाला के बाद जिस नाम ने इनकी जगह लेना शुरू किया वो था 'दाउद इब्राहीम'. वैसे तो इस नाम से ज्यादातर लोग परिचित हैं ही. सभी को पता है कि दाउद जिस कंपनी (गैंग) को चलाता है, उसे ही शॉर्ट में 'डी-कंपनी' भी कहा जाता है. दाउद पर आधारित अपनी इस श्रृंखला में हम आपको कुछ ऐसी सच्चाइयों से रूबरू कराने जा रहे हैं जिन्हें कम ही लोग जानते हैं.
 
डर के साथ नफरत फैलाने वाला 'पहला डॉन'
 
मुंबई में जो लोग अब तक डॉन के नाम से अपना प्रभाव रखते थे वो भले ही स्मग्लिंग जैसे गैरकानूनी काम में लगे हुए थे, और उनके नाम का लोगों में डर था, लेकिन दाउद इस दुनिया में उभरा ऐसा पहला नाम था जिसने डर के साथ नफरत फैलाने का भी 'धंधा' शुरू किया. इसकी शुरुवात 1990 में उसके अफगानिस्तान जाने से ही हो गई थी, लेकिन 12 मार्च 1993 को मुंबई में हुए सीरियल बॉम्ब ब्लास्ट ने इस बात की आधिकारिक पुष्टि कर दी. 

 
इसके बाद तो उसका नाम देश ही नहीं पूरी दुनिया में चर्चा में आ गया. 2001 में अमेरिका पर हुए आतंकी हमले से लेकर, 2003 में भारतीय संसद पर हमला, गुजरात में ब्लास्ट जैसी वारदातों से उसका नाम जुड़ने लगा. जल्द ही पता चला कि उसके सम्बन्ध अल-कायदा से लेकर ओसामा बिन लादेन तक से हैं. 

 
दुनिया भर में बन गया आतंक का पर्याय 

 
2003 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने दाउद को 'अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी' घोषित किया, जबकि 2003 में ही भारत ने भी आतंकियों की हिट लिस्ट में दाउद का नाम सबसे ऊपर लिख दिया. अपराध और आतंक की उसकी दुनिया जिस तेजी से बढ़ रही थी, उसी तेजी से उसकी बदनामी का ग्राफ भी उठ रहा था. 2008 में फ़ोर्ब्स ने 'दुनिया के 10 सबसे खूंखार अपराधियों' की सूची में दाउद का नाम शामिल किया.  

 
बढ़ते आतंक और मासूमों को निशाना बनाने का उसका यह खेल भले ही बहुत तेजी से पनप रहा था, लेकिन बढ़ रहे अत्याचार ने अपने ही गैंग में उसका सबसे बड़ा विरोधी पैदा कर दिया. इस शख्स ने दाउद के मजबूत किले में ऐसी सेंध लगाई कि एक-एक कर इसकी दीवारें ढहने लगीं.

 
'सुपारी किलर...' की अगली कड़ी में जानिए क्यों और कैसे इस अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी की जड़ों को खोदने का काम उसके ही एक गुर्गे ने किया...

शाम 6.15, रात 10, 12.30 से एक बजे तक और तड़के 4 बजे शिव पूजा का मुहूर्त

माह फाल्गुन, पक्ष कृष्ण, तिथि चतुर्दशी, नक्षत्र श्रवण और योग अमृत उस पर दिन सोमवार। महाशिवरात्रि पर ऐसा संयोग बना है 1955 के बाद पहली बार। वैसे 10 साल बाद महाशिवरात्रि के अवसर पर श्रवण नक्षत्र और अमृत सिद्धि योग बना है।
तीन साल बाद सोमवार को महाशिवरात्रि पड़ रही है। इन सभी संयोगों की वजह से इस बार की महाशिवरात्रि का महत्व बढ़ गया है। पं. प्रियाशरण त्रिपाठी ने बताया कि 20 फरवरी को सुबह 3.31 मिनट से चतुर्दशी तिथि शुरू हो जाएगी।
यह 21 फरवरी की सुबह 3.05 बजे तक रहेगी। इसके बाद अमावस्या तिथि शुरू होगी। नियमानुसार रात में पड़ने वाली चतुर्दशी और अमावस्या को महाशिवरात्रि मनाने का विधान है। इसका उपवास त्रयोदशी से शुरू होता है। महाशिवरात्रि में इस बार दिन सोमवार, श्रवण नक्षत्र, अमृत और सिद्धि योग बन रहा है। इसकी वजह से महाशिवरात्रि दुर्लभ संयोग लेकर आई है। उन्होंने कहा कि साधक एक दिन पहले एक समय का भोजन करे। दूसरे दिन सुबह शिव मंदिर में उत्तर दिशा की ओर मुंह कर भगवान शिव के पूजन का संकल्प ले। रात में भगवान शिव का उनके परिवार सहित पूजन करने से सभी कष्टों का निवारण होगा। सकल मनोरथ सिद्ध होंगे और भगवान शिव की कृपा बनी रहेगी।

इसलिए मनाई जाती है महाशिवरात्रि
मां महामाया मंदिर के पुजारी पं. मनोज शुक्ला ने बताया कि शिव पुराण के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन ही शिवलिंग का प्रादुर्भाव हुआ था। कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव और मां पार्वती का विवाह हुआ था। दोनों ने इस दिन गृहस्थ आश्रम में प्रवेश किया था। इसी अवसर पर यह पर्व मनाया जाता है (विस्‍तार से पढ़ने के लिए पहले रिलेटेड लिंक पर क्लिक करें)
राहू और कालसर्प से निवारण
संस्कृत महाविद्यालय के वेद विभाग के अध्यक्ष पं. रामकिशोर मिश्रा ने बताया कि कालसर्प योग, राहू काल से पीड़ित, कैरियर में बाधा और संतानहीन लोगों को महाशिवरात्रि के दिन कांसे के पात्र में तिल भरकर उसमें चांदी के नाग-नागिन का जोड़ा रखकर दान करना चाहिए। इससे सभी तरह के कष्टों का निवारण होता है।
पूजन के मुहूर्त
महाशिवरात्रि के दौरान किसी भी समय भगवान का अभिषेक किया जा सकता है। किंतु गोधुली बेला यानी शाम 6.15 बजे, रात 10, मध्यरात्रि में 12.30 से एक बजे तक और दूसरे दिन सुबह 4 बजे चार प्रहर में पूजा का मुहूर्त है।
क्या करें
शिवलिंग का पंचामृत से अभिषेक करना चाहिए।
ओम नम: शिवाय का जाप करते हुए रात्रि जागरण करें।
आंक के फूल, धतूरे और भांग, बेलपत्र, केसर युक्त चंदन आदि से शिवलिंग की पूजा कर मेवे का भोग लगाएं।
4 प्रहर की पूजा करनी चाहिए। मध्यरात्रि का विशेष महत्व।

उज्जैन में शिवरात्रि महापर्व पर भगवान महाकाल के श्रद्धालुओं को 44 घंटे तक दिव्य दर्शन देंगे। रविवार-सोमवार की मध्य रात 2.30 बजे महाकाल मंदिर गर्भगृह के पट खुले। अब 21 फरवरी की रात 11 बजे तक बाबा महाकाल लाखों श्रद्धालुओं को निरंतर दर्शन देंगे।

पुजारियों ने परंपरा अनुसार प्रथम घंटी बजाकर भगवान को जगाया। हरिओम जल, पंचामृत अभिषेक, पूजन के पश्चात अल सुबह 3 बजे भस्मारती शुरू हुई। सोमवार सुबह 6 बजे से आम लोगों के लिए दर्शन शुरू करा दिया गया है। ज्योतिषाचार्य पं. श्यामनारायण व्यास ने कहा कि सालों बाद शिवरात्रि श्रवण नक्षत्र में आई है। इस दिन सर्वार्थसिद्धि योग है, जो पूजन व खरीदी के लिए शुभ है।