Friday 2 August 2013

बैठक हुई रद्द, SC का दरवाजा खटखटाएगी BCCI

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एन श्रीनिवासन की बीसीसीआई अध्यक्ष पद पर वापसी की कोशिश शुक्रवार को उस समय नाकाम हो गई जब बोर्ड ने आईपीएल की जांच को अवैध और असंवैधानि क बताने के बांम्बे हाईकोर्ट के फैसले के बाद कानूनी संकट के डर से कार्यसमिति की बैठक रद्द कर दी।
इसके साथ ही भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने बांम्बे हाईकोर्ट के दो सदस्यीय जांच पैनल को अवैध और असंवैधानिक ठहराये जाने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने का निर्णय लिया है। आईपीएल की संचालन परिषद की हुई संक्षिप्त बैठक में यह फैसला किया गया। इस निर्णय को लिये जाने के कारण बीसीसीआई की कार्यसमिति की बाद में होने वाली बैठक को रद्द कर दिया गया। बीसीसीआई के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी रत्नाकर शेट्टी ने संवाददाताओं को बताया कि संचालन परिषद में यह निर्णय किया है कि हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाए। संचालन परिषद बैठक में बीसीसीआई के वरिष्ठ अधिकारी अरुण जेटली ने सदस्यों को हाईकोर्ट के फैसले के बारे में विस्तार से जानकारी दी जिसके बाद सदस्यों ने सुप्रीम कोर्ट जाने पर सहमति जताई। बोर्ड के अध्यक्ष एन श्रीनिवासन हालांकि यहां पहुंचे थे, लेकिन वह संचालन परिषद की बैठक में शरीख नहीं हुए। शेट्टी के अनुसार बीसीसीआई की अभी वही स्थिति बनी हुई है जो इससे पहले तक थी। इससे पहले तकनीकी कारणों का हवाला देते हुए आज होने वाली कार्यकारी समिति की बैठक को रद्द कर दिया गया। हालांकि सूत्रों की मानें तो इस बैठक के रद्द करने की असल वजह बोर्ड अध्यक्ष श्रीनिवासन हैं। बीसीसीआई सदस्यों के बोर्ड में अध्यक्ष पद पर वापसी के प्रयास में जुटे श्रीनिवासन के साथ किसी प्रकार के टकराव के मद्देनजर भी बैठक को रद्द कर दिया गया। इसके अलावा आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग के जांच दल को गैरकानूनी और असंवैधानिक बता चुके बांम्बे हाईकोर्ट के निर्णय के बाद बोर्ड के सदस्यों को इस बात की भी शंका थी की कहीं इस बैठक से उन्हें कानूनी कार्रवाई का सामना न करना पड़े। स्पॉट फिक्सिंग मामले में आंतरिक जांच पूरी होने तक श्रीनिवासन के पद से किनारा करने के बाद अंतरिम अध्यक्ष बनाये गए जगमोहन डालमिया फिलहाल पद पर बने रहेंगे। बीसीसीआई आला अधिकारियों की सिलसिलेवार बातचीत के बाद कार्यसमिति की बैठक रद्द करने का फैसला किया गया। यह भी डर था कि यदि श्रीनिवासन इन हालात में पद पर लौटने की कोशिश करते हैं तो उनके खिलाफ बगावत हो सकती है। बोर्ड के सूत्रों ने बताया कि बोर्ड उपाध्यक्ष और कानून के जानकार अरुण जेटली, डालमिया और आईपीएल अध्यक्ष राजीव शुक्ला की सलाह के बाद श्रीनिवासन ने अपना रवैया बदला। बीसीसीआई को डर था कि श्रीनिवासन के अध्यक्ष पद पर लौटने और कार्यसमिति की बैठक की अध्यक्षता करने से और कानूनी पेचीदगियां पैदा हो सकती थीं। बोर्ड की आंतरिक जांच में श्रीनिवासन के दामाद गुरुनाथ मयप्पन को क्लीन चिट दी गई थी। इसी जांच रिपोर्ट को अदालत ने अवैध बताया है। श्रीनिवासन से कहा गया कि बोर्ड अध्यक्ष पद पर उनके लौटने से देश भर में कई जनहित याचिकायें दायर हो जायेगी, जिससे बोर्ड को और शर्मिंदगी झेलनी पड़ सकती है। ऐसी भी खबरें हैं कि दो उपाध्यक्षों और कुछ अन्य आला अधिकारियों ने धमकी दी थी कि श्रीनिवासन अगर बैठक की अध्यक्षता करेंगे तो वे इस्तीफा दे देंगे। श्रीनिवासन इस संभावना से खफा थे, लेकिन अपनी कानूनी टीम से सलाह मशविरे के बाद वे बैठक रद्द करने पर राजी हो गए। बैठक के रद्द होने के पीछे एक और तकनीकी कारण था कि कार्यसमिति के सदस्यों को जब इसकी सूचना दी गई तो आपात शब्द का इस्तेमाल नहीं किया गया था। बोर्ड के एक अधिकारी ने कहा कि बैठक तकनीकी रूप से भी अवैध थी क्योंकि यदि पिछली बैठक से 72 घंटे के भीतर कोई दूसरी बैठक बुलानी है तो आपात शब्द का इस्तेमाल जरूरी है। बीसीसीआई ने अभी तक इस बारे में कोई औपचारिक जानकारी नहीं दी है। आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग मामला तब प्रकाश में आया, जब भारतीय तेज गेंदबाज एस श्रीसंथ, राजस्थान रॉयल्स के दो अन्य खिलाड़ी अजीत चंदीला और अंकित चव्हाण के अलावा 11 सटोरियों को गिरफ्तार किया गया। कलंकित खिलाड़ियों के अनुबंध फ्रेंचाइजी ने रद्द कर दिये और उनके खिलाफ आपराधिक शिकायत भी दर्ज की गई।

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