Tuesday 6 August 2013

मेरी पतंग बड़ी मतवाली

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Child flying kite
जब बच्चों की मस्ती हर पल आसमान में उड़ती दिखे तो समझो पतंग उड़ाने के दिन आ गए हैं। दुकानें और बाजार भी तो पतंगों से सजने लगे हैं। अ ब हर शाम पतंगें पेंच लड़ाएंगी और खुशियां चरखी, सद्दी, मांजा, ढील दे और आई बो काटा की आवाज में पूरे आसमान में गूंजेंगी, और क्या होगा जानते हैं पूनम जैन से
बड़े-बड़े पतंगबाज
यदि तुम्हें यह लगता है कि पतंग के इस खेल पर तुम बच्चों का ही अधिकार है तो तुम गलत हो। दुनियाभर में जितने अधिक बच्चे इसके दीवाने हैं, उससे कहीं अधिक संख्या बड़े पतंगबाजों की है। राजा-नवाब भी इसके शौक से दूर नहीं थे। उनके लिए महलों की छतों पर पतंग उड़ाने के लिए खास इंतजाम किए जाते थे। मुगल राजाओं के समय पतंगबाजी को खूब पसंद किया जाता था। उसके बाद लखनऊ, रामपुर और हैदराबाद के नवाबों में भी इसका खुमार चढ़ा। ये लोग अपनी पतंगों के साथ अशर्फियां बांधकर उड़ाते थे। जिन घरों पर ये पतंगें टूट कर गिरती थीं, उन घरों में खुशियां मनायी जाती थीं। पतंग की खोज कब और किसने की, इस बात की निश्चित तिथि तो किसी को पता नहीं, पर इसकी शुरुआत लगभग दो हजार वर्ष पहले चीन में मानी जाती है। कहा जाता है कि पहली पतंग एक चीनी दार्शनिक मो जी ने बनाई थी। उसके बाद पतंगबाजी का यह खेल विभिन्न देशों में फैलता चला गया।  भारत में कहां-कहां
यदि तुम्हें लगता है कि पतंग केवल 15 अगस्त के दिन ही उड़ायी जाती है तो तुम गलत हो। 15 अगस्त पर पतंगें दिल्ली में उड़ायी जाती हैं। यहां तक कि लाल किला मैदान में भी लोग इकट्ठे होकर पतंगें उड़ाते हैं और आजादी का जश्न मनाते हैं। हरियाणा में पतंगें तीज पर, पंजाब में बैसाखी पर, गुजरात, बिहार में मकर संक्रांति पर, उत्तर प्रदेश में वसंत पंचमी व मकर संक्रांति के अलावा दिवाली के अगले दिन भी खूब उड़ायी जाती हैं। यहां लगते हैं पतंगों के मेले
पतंग उड़ाना दुनिया के कई देशों में लोकप्रिय खेल माना जाता है। खासतौर पर चीन, जापान, भारत, इंडोनेशिया और अमेरिका में हर साल इंटरनेशनल काइट फेस्टिवल्स का आयोजन किया जाता है, जहां दुनियाभर के पतंगबाज तरह-तरह की पतंगों से अपनी पतंगबाजी का हुनर दिखाते हैं। हर साल कई रिकॉर्ड बनते हैं। जापान काइट फेस्टिवल
जापान में यह फेस्टिवल हर साल मई माह के पहले वीक में हमामात्सु शहर में आयोजित किया जाता है। इस समय यहां का साफ चमकता नीला आसमान एक दूसरे की पतंगों से पेंच लड़ाते पतंगबाजों का युद्ध का मैदान बन जाता है। हजारों की संख्या में बच्चे, महिलाएं और पुरुष अपने रंग-बिरंगे हैप्पी कोट्स में पतंग उड़ाने का मजा लेते हैं। इस महोत्सव के दौरान फेस्टिवल म्यूजियम तक पहुंचने के लिए हमामात्सु रेलवे स्टेशन से पब्लिक ट्रांसपोर्ट की खास व्यवस्था की जाती है। चीन काइट फेस्टिवल
चीन में हर साल अप्रैल माह में वाइफैंग शहर में काइट फेस्टिवल लगाया जाता है। यहां चीन के साथ-साथ दुनियाभर से पतंग के शौकीन इकट्ठे होते हैं। यहां खास तरह की हैंडीक्राफ्ट पतंगें देखने को मिलती हैं। सप्ताहभर चलने वाले इस पतंगों के त्योहार में पूरे शहर को रंग-बिरंगी लालटेन और स्टीमर्स से सजाया जाता है। वाइफैंग काइट म्यूजियम दुनियाभर में सबसे बड़े म्यूजियमों में से एक है। जकार्ता काइट फेस्टिवल
यह इंडोनेशिया का सबसे प्रसिद्ध और पुराना फेस्टिवल है। यह हर साल जुलाई के महीने में दो दिन तक आयोजित किया जाता है। चीन, जापान, मलेशिया और नीदरलैंड से पतंगबाज इसमें शामिल होने के लिए आते हैं। यहां की बड़ी-बड़ी ड्रेगन काइट खास आकर्षण का केंद्र होती हैं। वॉशिंगटन स्टेट इंटरनेशनल काइट फेस्टिवल
नॉर्थ अमेरिका के वॉशिंगटन शहर का यह सबसे लोकप्रिय आयोजन है। अगस्त के तीसरे वीक में सात दिन तक चलने वाला यह कार्यक्रम हर साल लॉन्गबीच पेनिन्सुला में आयोजित किया जाता है। इसे देखने के लिए जितनी बड़ी संख्या में दर्शक जुटते हैं, उतने ही उत्साह से देश और विदेश के पतंगबाज भी अपने कौशल को दिखाने के लिए यहां आते हैं। काइट ट्रेड एसोसिएशन इंटरनेशनल द्वारा इसे दुनियाभर में सबसे अच्छे काइट फेस्टिवलों में से एक माना गया है। अहमदाबाद इंटरनेशनल फेस्टिवल
यूं तो भारत में पतंगें किसी एक खास चौक या नदी के किनारों पर ही नहीं, हर गली-मोहल्ले में उड़ती देखी जा सकती हैं, पर जिस काइट फेस्टिवल की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान है, वह है गुजरात के अहमदाबाद में आयोजित होने वाला इंटरनेशनल काइट फेस्टिवल। यह मकर संक्रांति के अवसर पर यानी 13 जनवरी से शुरू होता है। यह आयोजन तीन दिन तक चलता है। इन दिनों पूरे गुजरात की चहल-पहल सिमट कर अहमदाबाद में अपने रंग दिखाने लगती है। विदेशों के पतंगबाज भी इसमें शामिल होते हैं। पतंगें ऐसी भी..
कागज का अविष्कार होने से पहले से पतंग उड़ायी जाती रही हैं। कहते हैं कि लगभग 3000 साल पहले उड़ायी गयी पहली पतंग पत्तियों से बनी थी।
सन् 1883 में इंग्लैंड के डगसल आकिवेल्ड ने पतंगों के जरिए 1200 फीट की ऊंचाई पर बहती हवा की गति मालूम की थी।
कहते हैं कि 1901 में मार्कोनी ने एक हैक्सागन यानी छह भुजाओं वाली पतंग का प्रयोग अटलांटिक महासागर के पार सिग्नल भेजने के लिए किया था।
यदि तुम यह मानते हो कि पतंग उड़ाना बच्चों का खेल है, तो यह जानकर हैरानी होगी कि पतंग उड़ाने वालों में बच्चों से कहीं अधिक संख्या बड़ की है।
हर साल उत्तरी अमेरिका में लगभग 5 करोड़ पतंगों की बिक्री होती है।
ऐसा कहा जाता है कि दुनिया के किसी न किसी हिस्से में हर सप्ताह कम से कम एक पतंगों का त्योहार मनाया जाता है।
थाईलैंड में होने वाली पतंगबाजी में 78 नियमों का पालन करना पड़ता है।
ओरिएंट में लोग खुशियां, सौभाग्य और अच्छे स्वास्थ्य की शुभकामना के प्रतीक के रूप में एक-दूसरे को पतंग भेंट करते हैं।
जापान में 1760 में पतंग उड़ाने पर बैन लगा दिया गया था। इसका कारण था कि लोग काम करने से ज्यादा समय पतंग उड़ाने में बिताते थे।

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