Sunday 4 August 2013

फेसबुक ने 11 साल बाद परिवार से मिलाया

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facebook meet a family
आम हिंदी फिल्मों की तर ह ही इस कहानी में सारे मसाले हैं और इसका अंत भी काफी सुखद है। पगड़ीधारी गुरुबाज सिंह ने जब एक मराठी डोमले परिवार का दरवाजा खटखटाया, तो लगा कि लगा कि कोई अतिथि है। पर वह कोई अनजान शख्स या अतिथि नहीं, बल्कि 11 साल पहले गुस्से में घर छोड़कर गया अंकुश था।
    
घर से बाहर यात्रा के दौरान सिख धर्म अपनाने वाले अंकुश के छोटे भाई संतोष को 21 जुलाई की रात अपने फेसबुक प्रोफाइल पर एक मैसेज मिला। इसमें कहा गया था, मैं तुम्हारा भाई हूं, मुझे फोन करो।
    
मैसेज में दिए गए नंबर पर जब उसने कॉल किया, तो पता चला कि वह उसका भाई अंकुश है, जो 13 साल की उम्र में घर से भाग गया था। फेसबुक पर अंकुश की तस्वीरें देखकर संतोष भौंचक रह गया, क्योंकि उसनी पगड़ी पहन रखी थी। लेकिन, उसकी मां हेमलता ने चेहरे और भौं पर कटे का निशान देखकर उसे पहचान लिया।
    
अंकुश के घर से बाहर जाने और लौटने तक की कहानी बिल्कुल फिल्मी है। 28 जुलाई को लुधियाना से बिल्कुल नए अवतार में गुरुबाज सिंह घर आया।
    
गुरुबाज सिंह यानी अंकुश याद करते हुए कहते हैं, मैं अपने चाचा की गाड़ी चलाने की कोशिश कर रहा था और इसी में एक अन्य गाड़ी से टक्कर हो गयी, जिससे वह क्षतिग्रस्त हो गयी। मां और चाचा ने मेरी पिटाई की। मां ने 50 रुपये दिए और निकल जाने को कहा।
    
इसके बाद उनकी लंबी यात्रा शुरू हो गयी। घर छोड़ दिया और चल पड़े। मुंबई में उन्हें एक सिख मिले, जो उन्हें अपने ट्रक से नांदेड़ ले गए। जब उन्होंने पंजाब जाने से मना कर दिया, तो ड्राइवर ने मराठवाड़ा क्षेत्र में स्थित सिखों के पवित्र शहर नांदेड़ में एक गुरुद्वारा में उन्हें छोड़ दिया।
    
इसके बाद वह गुरुद्वारा लंगर में सेवा करने लगे। छह महीने में वह नये काम से अवगत हो गये और इसी दौरान उनकी मुलाकात मेजर सिंह से हुई। बाबा (सिंह) उन्हें लुधियाना ले गए। अंकुश कहते हैं, इसके बाद मैं एक सिख हो गया। मेरा नाम गुरुबाज सिंह हो गया।
    
इसी बीच वह काम पर लग गए। हाल में एक सहकर्मी से उनका झगड़ा हो गया और उन्हें घर की याद सताने लगी। इसके बाद उन्हें अपने बचपन और भाई संतोष की याद आयी। बाद में फेसबुक पर उन्होंने संतोष नाम से सर्च किया और उन्हें मैसेज भेजा।
    
वह कहते हैं, जब मैंने सारी कहानी बाबा को सुनायी तो उन्होंने झेलम एक्सप्रेस से मेरा टिकट बुक करा दिया और मैं पुणे पहुंच गया।

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