Monday 18 November 2013

भारत रत्न वैज्ञानिक CNR राव ने नेताओं को कहा मूर्ख...

Image Loadingभारत रत्न वैज्ञानिक सीएनआर राव ने विज्ञान के क्षेत्र में कम आर्थिक सहायता पर तल्ख लहजे में नेताओं को मूर्ख तक कह डाला। राव ने एक संवाददाता सम्मेलन में वैज्ञानिक अनुसंधान के मानकों को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में यह बात कही।
राव ने कहा कि वैज्ञानिक समुदाय को दिए गए पैसे से हमने बहुत कुछ किया है। इन मूर्ख (ईडियट) नेताओं ने हमें इतना कम दिया है। मगर इसके बावजूद हम वैज्ञानिकों ने बहुत ज्यादा किया है। हमारा निवेश बहुत कम है, लेकिन फिर भी हमें यह बहुत देर से मिलता है। चीन की प्रगति के बारे में पूछने पर राव ने कहा कि इसके लिए हम खुद जिम्मेदार हैं। भारतीय चीन के लोगों की तरह कठोर परिश्रम नहीं करते हैं। हम अपेक्षाकृत कम देशभक्त हैं और थोड़े से ज्यादा पैसों के लिए विदेश जाने के लिए तैयार रहते हैं। राव ने संवाददाताओं से कहा कि आईटी (सूचना प्रौद्योगिकी) का विज्ञान से कोई लेना-देना नहीं है। आईटी कुछ लोगों के लिए धन बनाने का जरिया है और वहां काम करने वाले नाखुश लोगों की तादाद ज्यादा है। उन्होंने कहा कि क्योंकि मैं रोज अखबार में देखता हूं कि किसी ने आत्महत्या कर ली, किसी की हत्या कर दी गई, कुछ लोग नाखुश हैं कि जिंदगी खतरनाक है। मुझे देखिए मैं 80 वर्ष की उम्र में खुश हूं।
 
उन्होंने कहा कि मुझे कोई शिकायत नहीं है। मेरा मानना है कि खुशी कुछ अलग है। आप जो कर रहे हैं उसका आनंद उठाइए, निश्चित रूप से वे अपना काम करने में पीड़ित महसूस करते हैं, वे आनंद नहीं उठाते। एक सवाल के जवाब में राव ने कहा कि निश्चित रूप से। देश में विज्ञान का मिजाज नहीं है। कर्नाटक सरकार के प्रस्तावित अंधविश्वास विरोधी विधेयक पर उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि यह विज्ञान की प्रवृत्ति का एक हिस्सा है, विज्ञान की प्रवृत्ति कुछ नहीं बल्कि जीवन का नजरिया है, जीवन की रोजाना की घटनाएं।

हां, हम चोर हैं...हमने कांग्रेस की नींद चुराई है: मोदी

Image Loadingभारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा भाजपा को चोर बताए जाने का जवाब सोमवार को अपने अंदाज में दिया और कहा कि हां, हमने चोरी की है और वह है कांग्रेस की नींद चुराने की।
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में पार्टी उम्मीदवारों का प्रचार करने पहुंचे मोदी ने सोमवार को छतरपुर के बाबूराम चतुर्वेदी स्टेडियम में कहा कि शहजादे ने छत्तीसगढ़ में भाजपा को चोर बताया है। कांग्रेस वालों, हमें आपका आरोप मंजूर है, हमने चोरी की है, पूरी कांग्रेस की नींद की। आपकी नींद हराम कर दी है, हर कोने में एक परिवार को ललकारा जा रहा है, जो अपको सहन नहीं हो रहा है। मोदी ने रविवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा भाजपा पर बहस का स्तर गिराने के आरोप का भी जवाब दिया। उन्होंने कहा कि बहस, संसद, प्रधानमंत्री पद का किसने अपमान किया है, यह पूरा देश जानता है, यह काम भाजपा ने तो नहीं किया है। मोदी ने चुनावी सभा में प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह द्वारा भाजपा पर राजनीति को नीचे गिराने संबंधी आरोपों का जिक्र करते हुए कहा कि मैं प्रधानमंत्री से पूछना चाहता हूं कि इस पद की गरिमा किसने गिराई, कैबिनेट का मजाक किसने उडाया, संसद को अपमानित किसने किया, आपके निर्णय को नानसेंस किसने कहा और उसके मसौदे को किसने फाडकर फेंका।
    
मोदी ने कहा कि प्रधानमंत्री पद की गरिमा उन लोगों ने ही गिराई, जिनकी कृपा से मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री पद की कुर्सी पर बैठे हैं। उन्होंने दावा किया कि प्रधानमंत्री ऐसे लोगों के खिलाफ बोल नहीं पा रहे हैं, लेकिन वह हम लोगों पर तो झूठे आरोप नहीं लगायें।
    
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए मोदी ने कहा कि कांग्रेस के साहबजादे भाजपा को चोरों की पार्टी बता रहे हैं। उन्होंने कहा, हां हम चोर हैं लेकिन हमने कांग्रेस की नींद चुराई है।
    
गांधी परिवार पर निशाना साधते हुए मोदी ने कहा कि यह परिवार ऐसा है कि यदि कोई भी एक उसे ललकारे तो कांग्रेसी सहज नहीं रह सकते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि यह परिवार चाहे किसी को भी कुछ भी कहता रहे लेकिन कोई नहीं बोलता है। लेकिन यदि कोई भी इस परिवार के खिलाफ बोले तो चारों ओर से आवाजें सुनाई देने लगती हैं।
    
मोदी ने कांग्रेस सरकार पर जनता को हिसाब नहीं देने का आरोप लगाते हुए कहा कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान चुनाव से पूर्व मध्यप्रदेश के गांव गांव गये और उन्होंने वहां जाकर अपने दस साल के कायरे का पूरा पूरा ब्यौरा दिया।
    
प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार ने कहा कि कांग्रेस मध्यप्रदेश में अस्पताल, स्कूल और सडक नहीं होने का आरोप लगा रही है। लेकिन उसे यह नहीं भूलना चाहिये कि वह कांग्रेस ही है जिसने 50 साल तक प्रदेश पर शासन किया। उन्होंने आरोप लगाया, कांग्रेस ने अपने दस साल के शासनकाल के दौरान प्रदेश में इतने गड्ढे दिये कि उन्हें भरने में ही दस साल लग गये लेकिन इसके बावजूद प्रदेश ने सभी क्षेत्रों में प्रगति की है।

Sunday 17 November 2013

तेंदुलकर की शानदार विदाई को ब्रिटिश मीडिया ने सराहा

खेलों में इस तरह की विदाई कभी नहीं हुई। भारतीय क्रिकेट के आइकन सचिन तेंदुलकर की विदाई पर ब्रिटिश मीडिया की यह सर्वसम्मत राय थी। ब्रिटिश मीडिया ने अपना 200वां टेस्ट मैच खेलकर अलविदा कहने वाले तेंदुलकर की जमकर तारीफ की है। अपनी बल्लेबाजी से दुनिया के इस भाग Image Loading में भी काफी लोकप्रिय इस भारतीय बल्लेबाज की हमेशा विनम्र बने रहने और प्रशंसकों को चहेता बने रहने के लिए प्रशंसा की गयी है। तेंदुलकर के शनिवार को अपने विदाई के समय दिये गए भावनात्मक भाषण का जिक्र करते हुए डेली टेलीग्राफ ने लिखा है, खेलों में इस तरह की विदाई कभी नहीं देखी गयी। यह विदाई समारोह एक अरब तालियों और एक अरब आंसूओं को लाने के लिए बेहतरीन ढंग से तैयार किया गया था। अखबार ने लिखा है कि सचिन तेंदुलकर का अपने घरेलू मैदान पर आखिरी प्रदर्शन उनके बेहतरीन प्रदर्शनों में से एक था। भले ही यह बल्ले से नहीं था लेकिन माइक पर उनका प्रदर्शन बेजोड़ रहा। समाचार पत्र ने इस 40 वर्षीय खिलाड़ी की अपने लाखों प्रशसंकों की भावनाओं पर पकड़ को उजागर किया है। इनमें से कुछ तो भाषण सुनकर रो पड़े। इस दौरान तेंदुलकर के लिए भी खुद की भावनाओं को काबू में रखना मुश्किल हो रहा था। इसमें लिखा गया है, वानखेड़े स्टेडियम के इर्द गिर्द सभी आंखे नम थी। यह छोटे कद का इंसान घास पर खड़े होकर आखिरी बार अपने चहेतों से रू-ब-रू था। जब वह अपना बेजोड़ भाषण दे रहे थे तब भावनाओं का ज्वार हावी था। 24 साल तक 22 गज के दायरे में रही मेरी जिंदगी जैसे शब्दों का उपयोग करके उन्होंने चार चांद लगा दिये थे। समाचार पत्र ने तेंदुलकर की प्रशंसा करते हुए कहा कि भावनाओं का ज्वार उमड़ने के बावजूद उन्होंने बेहतरीन भाषण दिया और अपनी बात अच्छी तरह से रखी। अखबार के अनुसार, खूबसूरत। मुंबई में अविस्मरणीय शनिवार के दोपहर के भोजन के समय 32,000 दर्शकों की सचिन, सचिन की आवाज आसमान में गूंजने लगी। यह इतनी गगनभेदी थी कि इसे कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक सुना जा सकता था। समाचार पत्र ने लिखा है, इस उन्माद के बीच अनुमान लगाइए की कौन शांति की प्रतिमूर्ति बना था। वह माइक्रोफोन लेकर आग्रह कर रहा था कि मेरे सभी दोस्तो, शांत हो जाओ, मुझे बोलने दो। मैं ज्यादा भावुक हो जाउंगा। लग रहा था कि कहीं उनके आंसू न निकल जाए। इसके बजाय उन्होंने बहुत अच्छा भाषण दिया। अखबार ने लिखा है, वह जैसे ही पवेलियन की सीढ़ियां चढ़कर अंतर्ध्यान हुए, ऐसा लगा मानो भारत ने अपनी प्रेरणा, अपनी खुशी और आराम खो दिया हो। वे अपने सचिन के बिना जिंदगी की कल्पना कैसे कर सकते हैं। द गार्डियन ने लिखा है कि अपने 24 साल के करियर के दौरान उन्होंने क्रिकेटरों की एक पीढी को सिखाया कि खुद को कैसे संचालित करना चाहिए। अखबार ने लिखा है, खेल स्वयं थोड़ा अहमियत रखता है। अपने भावनात्मक विदाई भाषण में 40 वर्षीय तेंदुलकर ने जो कहा उसे पूरा देश महसूस कर रहा था...यह विश्वास करना मुश्किल है कि मेरी शानदार यात्रा समाप्त हो रही है। इसके अनुसार, स्टारडम, धन और सफलता के बावजूद तेंदुलकर हमेशा विनम्र, पेशेवर और जमीन से जुड़े रहे। एक ऐसा इंसान जिसने खुद को तराशने में घंटों व्यतीत किए।