Tuesday 6 August 2013

IAS निलंबन में नया मोड़, वक्फ ने कहा दुर्गा पाकसाफ

Image Loadingआईएएस अधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल के निलंबन पर मचे सियासी घमासान के बीच उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है। बोर्ड ने दुर्गा शक्ति नागपाल की प्रशंसा की है और जोर देकर कहा है कि गौतम बुद्ध नगर में निर्माणाधीन मस्जिद की दीवार गिराने में उनकी कोई भूमिका नहीं है।
दनकौर इलाके के कादलपुर गांव का दौरा करने के बाद समिति ने पाया कि आईएएस अधिकारी ने स्थिति का जायजा लेने के लिए इलाके का दौरा किया था और ग्रामीणों को सलाह दी थी कि मस्जिद के निर्माण में वे सर्वोच्च न्यायालय के दिशा-निर्देशों का पालन करें। समिति ने यह भी उल्लेख किया कि दुर्गा ने ही अतिक्रमित वक्फ बोर्ड की भूमि को दोबारा पाने की प्रक्रिया शुरू की, जिसके चलते वह रेत एवं भू माफियाओं के निशाने पर आ गईं। समिति ने उत्तर प्रदेश सरकार को एक रिपोर्ट भेजी है और दुर्गा को फिर से बहाल करने का अनुरोध किया है। प्रदेश सरकार ने गौतमबुद्धनगर सदर की एसडीएम दुर्गा शक्ति नागपाल को मस्जिद की दीवार ढहाने के आरोप में निलंबित कर दिया था। विपक्षी दलों की ओर से इस कार्रवाई के पीछे खनन माफिया का हाथ होने का आरोप लगाये जाते ही हंगामा हो गया। वहीं, उत्तर प्रदेश सरकार ने जिस स्थानीय अभिसूचना इकाई (एलआईयू) रिपोर्ट का हवाला देकर भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल को निलंबित किया, उस रिपोर्ट में उनके नाम का जिक्र ही नहीं है। इसके साथ ही नागपाल के निलंबन को लेकर राज्य सरकार सवालों के घेरे में आ गई है। गृह विभाग को विगत 27 जुलाई को शाम करीब पांच बजे भेजी गई एलआईयू रिपोर्ट में उपजिलाधिकारी (एसडीएम) जेवर, पुलिस उपाधीक्षक और थाना प्रभारी रघुपुरा द्वारा निर्माणाधीन मस्जिद की दीवार गिरवाने की बात कही गई है। दीवार गिराने का समय उसी दिन दोपहर एक बजे बताया गया। एलआईयू की इस रिपोर्ट में कहीं पर एसडीएम सदर रहीं दुर्गा शक्ति नागपाल का नाम तक नहीं है। ऐसे में अब सवाल उठ रहे हैं कि जब एलआईयू रिपोर्ट में नागपाल का नाम नहीं है तो आखिर उन पर राज्य सरकार की तरफ  से कार्रवाई कैसे कर दी गई। उल्लेखनीय है कि नोएडा के जिलाधिकारी द्वारा भेजी गई रिपोर्ट में भी एसडीएम सदर नागपाल को दीवार गिराने की दोषी नहीं बताया गया था। जब मीडिया ने इस रिपोर्ट को लेकर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से सवाल किया था तो उन्होंने एलआईयू रिपोर्ट का हवाला दिया था। एलआईयू की रिपोर्ट सामने आने के बाद आने वाले समय में अखिलेश यादव सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

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