बड़े शहरों में लोगों को देर रात तक सोने और सुबह देर से उठने की लत कुछ इस
कदर जकड़ लेती है कि बाद में चाहकर भी इससे छुटकारा नहीं मिल पाता
, लेकिन
वैज्ञानिकों की मानें तो इस लत से आसानी से छुटकारा पाया जा सकता है और
सुबह जल्दी उठने की आदत डाली जा सकती है।
इस आदत से छुटकारा पाने के लिए सुझाव है कि कुछ दिन के लिए जंगल में कैंपिंग करना चाहिए। कुछ दिनों की कैंपिंग के बाद आप न सिर्फ सुबह जल्दी उठने लगेंगे, बल्कि स्वस्थ और पहले से तरोताजा भी महसूस करने लगेंगे। अमेरिका के ब्राउन विश्वविद्यालय में चिकित्सक एवं नींद पर शोध करने वाली कैथरीन शार्की के अनुसार कुछ दिनों की कैंपिंग के बाद मनुष्यों की आंतरिक घड़ी दो घंटा तक जल्दी हो गई। विज्ञान समाचारों एवं शोध लेखों की वेबसाइट 'साइंसन्यूज डॉट ऑर्ग' ने शोधकर्ता शार्की के हवाले से कहा कि लोगों को घर की अपेक्षा बाहर कहीं अधिक रोशनी मिलती है और इससे उनकी आंतरिक घड़ी फिर से व्यवस्थित हो सकती है। विज्ञान शोध की पत्रिका 'करेंट बायोलॉजी' में छपे शोध के अनुसार, अमेरिका के कोलोरेडो के रॉकी पर्वत के वन क्षेत्र में टेंटों में एक सप्ताह गुजारने के बाद शोध में हिस्सा लेने वाले रात्रिचर हो चुके मनुष्यों की आंतरिक घड़ी दो घंटे तक जल्दी हो गई और वे सुबह जल्दी उठने लगे। शार्की बताती हैं कि मस्तिष्क की मुख्य घड़ी मेलाटोनिन के रिसाव को नियंत्रित करती है। मेलाटोनिन ही हमारे शरीर को नींद के लिए तैयार करता है। मेलाटोनिन का स्तर शाम के पहले पहर में बहुत ज्यादा होता है तथा सुबह उठने से पहले बहुत कम हो जाता है। बड़े शहरों में लोग चूंकि दिन में भी इमारतों के अंदर कृत्रिम प्रकाश में ही रहते हैं, इसलिए उनमें मेलाटोनिन का स्तर रात में काफी देर से बढ़ता है और सुबह भी काफी देर से कम होता है। इस अनुसंधान में शार्की की सहायक कोलोरेडो विश्वविद्यालय, बाउल्डर में नींद पर शोध करने वाली केन्नेथ राइट का कहना है कि अपनी आंतरिक घड़ी को कैंपिंग के अलावा दूसरे उपायों से भी काफी हद तक व्यवस्थित किया जा सकता है। राइट ने बताया कि कार्यालयों में चूंकि कृत्रिम रोशनी की तीव्रता दिन के रोशनी से 500 गुना कम होती है, इसलिए समय-समय पर कार्यालय से थोड़ी देर के लिए बाहर निकलकर भी हम अपनी देर से उठने की आदत में सुधार ला सकते हैं।
इस आदत से छुटकारा पाने के लिए सुझाव है कि कुछ दिन के लिए जंगल में कैंपिंग करना चाहिए। कुछ दिनों की कैंपिंग के बाद आप न सिर्फ सुबह जल्दी उठने लगेंगे, बल्कि स्वस्थ और पहले से तरोताजा भी महसूस करने लगेंगे। अमेरिका के ब्राउन विश्वविद्यालय में चिकित्सक एवं नींद पर शोध करने वाली कैथरीन शार्की के अनुसार कुछ दिनों की कैंपिंग के बाद मनुष्यों की आंतरिक घड़ी दो घंटा तक जल्दी हो गई। विज्ञान समाचारों एवं शोध लेखों की वेबसाइट 'साइंसन्यूज डॉट ऑर्ग' ने शोधकर्ता शार्की के हवाले से कहा कि लोगों को घर की अपेक्षा बाहर कहीं अधिक रोशनी मिलती है और इससे उनकी आंतरिक घड़ी फिर से व्यवस्थित हो सकती है। विज्ञान शोध की पत्रिका 'करेंट बायोलॉजी' में छपे शोध के अनुसार, अमेरिका के कोलोरेडो के रॉकी पर्वत के वन क्षेत्र में टेंटों में एक सप्ताह गुजारने के बाद शोध में हिस्सा लेने वाले रात्रिचर हो चुके मनुष्यों की आंतरिक घड़ी दो घंटे तक जल्दी हो गई और वे सुबह जल्दी उठने लगे। शार्की बताती हैं कि मस्तिष्क की मुख्य घड़ी मेलाटोनिन के रिसाव को नियंत्रित करती है। मेलाटोनिन ही हमारे शरीर को नींद के लिए तैयार करता है। मेलाटोनिन का स्तर शाम के पहले पहर में बहुत ज्यादा होता है तथा सुबह उठने से पहले बहुत कम हो जाता है। बड़े शहरों में लोग चूंकि दिन में भी इमारतों के अंदर कृत्रिम प्रकाश में ही रहते हैं, इसलिए उनमें मेलाटोनिन का स्तर रात में काफी देर से बढ़ता है और सुबह भी काफी देर से कम होता है। इस अनुसंधान में शार्की की सहायक कोलोरेडो विश्वविद्यालय, बाउल्डर में नींद पर शोध करने वाली केन्नेथ राइट का कहना है कि अपनी आंतरिक घड़ी को कैंपिंग के अलावा दूसरे उपायों से भी काफी हद तक व्यवस्थित किया जा सकता है। राइट ने बताया कि कार्यालयों में चूंकि कृत्रिम रोशनी की तीव्रता दिन के रोशनी से 500 गुना कम होती है, इसलिए समय-समय पर कार्यालय से थोड़ी देर के लिए बाहर निकलकर भी हम अपनी देर से उठने की आदत में सुधार ला सकते हैं।
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