Thursday, 1 August 2013

तो और तेजी से मिलेगी अंतरिक्ष की सूचना

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 यूरोपियन स्पेस एजेंसी (इएसए) और अमेरिकी अंतरिक्ष संगठन नासा अपने चांद मिशन में महत्वाकांक्षी लूनर एटमॉस्फेयर एण्ड डस्ट एनवॉयरनमेंट एक् सप्लोरर (एलएडीईई) परियोजना के जरिये तेजी से डाटा हासिल करने के लिए अब रेडियो आधारित सिग्नल के बजाय लेजर लाइट एम्पलिफिकेशन बाई स्टिमुलेटेड इमिशन ऑफ रेडिएशन आधारित संचार प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करेगी।
इस तकनीक का अंतरिक्ष में प्रायोगिक डी परीक्षण सफलतापूर्वक किया जा चुका है परियोजना में इएसए के लूनर ऑप्टिकल कम्युनिकेशन लिंक परियोजना से जुड़े वैज्ञानिकों ने कहा कि इस परियोजना की सटीक जांच अक्टूबर में नासा के चंद्र मिशन के एलएडीईई परियोजना के चंद्र यात्रा से होगी। लेजर प्रौद्योगिकी के प्रयोग से अंतरिक्ष यान से संप्रेषित आंकड़ों सूचना का प्रवाह अत्यधिक तेज से बढ़ जाता है। जो अभी तक संभव नहीं हो सका था। इस परियोजना से जुड़े जोरान सोडनिक ने बताया कि हम एलएडीईई मून मिशन और नासा के मिलकर ऑप्टिकल फाइबर से संचालित संचार व्यवस्था को मंगल ग्रह या सौर मंडल के अन्य ग्रहों पर भविष्य के मिशन के लिए तैयार रखना है। उल्लेखनीय है कि वर्तमान में अंतरिक्ष संचार प्रौद्योगिकी में रेडियो तरंग आधारित संचार प्रणाली का इस्तेमाल होता है वहीं लेजर आधारित संचार प्रौद्योगिकी तकनीकी दृष्टि से आसान, छोटी, ऊर्जा की कम खपत करने वाली और अंतरिक्ष मिशन के दौरान कम खर्चीली सुविधा है। इस प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से दुरुह डिकोडिंग और डिटेक्टर और ट्रांसमीटर के रेंजिग सिस्टम में आने वाली तकनीकी बाधा सुलझ जायेगी और डाटा का प्रसारण तीव्र गति से हो सकेगा।

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