Thursday, 1 August 2013

सर्वदलीय बैठक संपन्न, तेलंगाना मुद्दे पर हुई गरमागरम बहस

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Sushma Sawraj
मानसून सत्र में किये जाने वाले विधायी कार्य पर चर्चा के लिए आज बुलायी गयी सर्वदलीय बैठक में तेलंगाना के मुद्दे पर गरमागरम बहस हुई। भाजपा ने 5 अगस्त से शुरू हो रहे संसद के सत्र में ही इसे पेश करने की मांग की तो कुछ अन्य दलों ने तेलंगाना राज्य के गठन का असर अन्य राज्यों पर पडने की आशंका जताई।
   
बैठक में सभी दलों के बीच इस बात पर लगभग सहमति थी कि यह सुनिश्चित करने के लिए सुधारात्मक उपाय किये जाएं कि प्रतिशोध की राजनीति के कारण राजनीतिज्ञ चुनाव लडने से वंचित नहीं होने पाएं। उल्लेखनीय है कि हाल ही में अदालत के एक फैसले में उन राजनीतिकों को चुनाव लडने से अयोग्य ठहराने के लिए कहा गया है, जो भले ही एक दिन के लिए पुलिस हिरासत में रहे हों।
   
विपक्षी दलों ने हालांकि एफडीआई में संशोधन लाने के सरकार के कदम पर कडी आपत्ति व्यक्त की। उनका कहना था कि विपक्षी दलों से सलाह मशविरा किये बगैर सरकार ऐसा कर रही है। बैठक में भाजपा ने खाद्य सुरक्षा विधेयक और भूमि अधिग्रहण विधेयक को उसके (भाजपा के) संशोधनों के साथ पारित कराने में समर्थन पर रजामंदी दी।
   
भाजपा नेता सुषमा स्वराज ने यहां संवाददाताओं से कहा कि पार्टी ने मांग की कि सरकार तेलंगाना राज्य के गठन के लिए संसद के इसी सत्र में विधेयक लाये क्योंकि अब तक फैसला कांग्रेस पार्टी ने किया है न कि सरकार ने।
   
सुषमा ने कहा कि जब विधेयक आएगा तो इसे सरकारी फैसला माना जाएगा। हम विधेयक का पूर्ण समर्थन करते हैं और सुनिश्चित करेंगे कि विधेयक पारित हो ताकि तेलंगाना की पुरानी मांग पूरी हो। बैठक में तृणमूल कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल सरकार की अनदेखी कर गोरखालैंड क्षेत्रीय प्रशासन के नेताओं से बातचीत करने के लिए सरकार की आलोचना की।
   
सूत्रों के अनुसार तृणमूल नेताओं ने आरोप लगाया कि तेलंगाना पर फैसले के बाद केन्द्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार पश्चिम बंगाल के लिए समस्याएं पैदा कर रही है। उन्होंने कहा कि गृह मंत्री सुशील कुमार शिन्दे से मुलाकात के लिए केन्द्रीय मंत्री गोरखालैंड क्षेत्रीय प्रशासन (जीटीए) के नेताओं के साथ गये।
   
शिन्दे ने हालांकि इस आरोप से इंकार किया। उन्होंने कहा कि कोई भी मंत्री जीटीए नेताओं के साथ उनके पास नहीं आया लेकिन गह मंत्री के रूप में वह हमेशा उनसे मिल सकते हैं। तृणमूल सांसद के डी सिंह ने कहा कि केन्द्र प्रदेश सरकार को सूचित किये बिना ही जीटीए नेताओं से सीधे मुलाकात कर संघीय ढांचे की भावना पर प्रहार कर रहा है। उन्होंने साथ ही कहा कि उनकी पार्टी तेलंगाना के खिलाफ नहीं है।
   
असम गण परिषद के नेता भी तेलंगाना पर लिये गये फैसले को लेकर चिन्तित थे। उन्होंने कहा कि इससे न सिर्फ आंध्र प्रदेश बल्कि असम सहित ऐसे कई अन्य राज्यों पर भी असर पडेगा, जहां पथक राज्य की मांग की जा रही है।
   
पार्टी सांसद बीरेन्द्र प्रसाद बैश्य ने कहा कि पृथक राज्य का मुद्दा काफी संवेदनशील है। इससे न सिर्फ आंध्र प्रदेश बल्कि देश के अन्य हिस्से भी प्रभावित होंगे। राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने कहा कि उनकी पार्टी चाहेगी कि सरकार तेलंगाना पर तत्काल विधेयक लाये।
   
इस मांग पर संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ ने कहा कि कानूनी प्रक्रिया पूरी करने की आवश्यकता है और राज्य विधानसभा को पहले प्रस्ताव पारित करना है। जो भी कानूनी प्रकिया है, पूरी की जाएगी। नाथ ने कहा कि आरक्षण और राजनीतिक पार्टियों के उम्मीदवार यदि एक दिन के लिए भी हिरासत में लिये जाएं तो उन्हें चुनाव लडने से प्रतिबंधित करने जैसे उच्चतम न्यायालय के हाल के फैसलों पर सभी पार्टियों ने चिन्ता का इजहार किया।
   
सुषमा ने कहा कि हाल में अदालत के कुछ फैसले आये हैं। एक फैसला है, जिसमें कहा गया है कि यदि आप चुनावों के दौरान एक दिन की भी पुलिस हिरासत में लिये गये तो आप चुनाव नहीं लड़ सकते। उन्होंने कहा कि ऐसे फैसलों की समीक्षा की आवश्यकता है और इस बारे में यदि संशोधन आवश्यक हैं तो किये जाने चाहिए।
   
सुषमा ने कहा कि भाजपा ने उत्तराखंड त्रासदी, सीबीआई और आईबी के बीच टकराव और रूपये में गिरावट पर चर्चा की मांग की है। बैठक में पार्टी ने ये मुद्दे उठाये। भाकपा नेता डी राजा ने कहा कि सभी दलों के बीच इस बारे में आम सहमति थी कि संसद की सर्वोच्चता बरकरार रहनी चाहिए।

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