Thursday, 4 July 2013

झारखंड: सर्विस रिवॉल्वर के दम पर नक्सलियों से भिड़ गए थे शहीद एसपी बलिहार, जानिए आखिरी पलों की कहानी

झारखंड: सर्विस रिवॉल्वर के दम पर  नक्सलियों से भिड़ गए थे शहीद एसपी बलिहार, जानिए आखिरी पलों की कहा
indian police salute
रांची/पाकुड़। मंगलवार को दुमका- पाकुड़ मुख्य मार्ग पर पाकुड़ के एसपी अमरजीत बलिहार समेत पांच जवानों को नक्सलियों द्वारा सरेआम गोलियों से भून डालना कई सवालों को जन्म देता है। घटना के घंटों बाद भी लोग सकते में हैं और सबके मन में एक ही सवाल है कि आखिर पाकुड़ के एसपी ही क्यों? क्या नक्सलियों के निशाने पर कोई और था? क्या नक्सली छत्तीसगढ़ की तर्ज पर नेताओं को निशाना बनाकर संथाल में अपनी जोरदार धमक दिखाना चाहते थे? आखिर किसने की ए
सपी की मुखबिरी और अब क्या होगा पुलिस का रवैया? ऐसे न जाने कितने सवाल लोगों के मन में उठ रहे हैं जिनका जवाब शायद पुलिस के पास भी नहीं। पुलिस सूत्रों की माने तो नक्सली छत्तीसगढ की तर्ज पर नेताओं के काफिले पर हमला कर चाहते थे।

शायद निशाने पर थे नेता
30 जून को झारखण्ड हूल दिवस के अवसर पर सूबे के तमाम बड़े नेता साहेबगंज के भोगनाडीह में सिदो-कान्हो को श्रद्धांजलि देने इसी रास्ते से होकर गुजरे थे। जिसमें झामुमो सुप्रीमो शीबू सोरेन, हेमंत सोरेन, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सुखदेव भगत, राजेन्द्र सिंह, प्रदीप बलमुचू, सुबोधकांत सहाय, गीताश्री उरांव सहित कई बड़े नेता इसी रास्ते से गुजरकर वापस भी आए थे। लेकिन पुलिस की चाक-चौबंद सुरक्षा और नेताओं की एक ही दिन और एक साथ वापसी न होने के कारण छत्तीसगढ़ जैसी घटना को अंजाम नहीं दिया जा सका।

जान बचाने की पूरी कोशिश की थी एसपी ने
 
 
पुलिसकर्मियों की मानें तो एसपी बलिहार नक्सलियों से अपना बचाव करने की पूरी कोशिश की। एसपी बलिहार की गाड़ी पर जब फायरिंग शुरू हुई तो वह अपनी गाड़ी से कूदकर बगल के एक गड्ढ़े में जा छिपे। वहां पर अपनी पहचान छिपाने के लिए वे अपना बैज व वर्दी में लगी नेम प्लेट को हटाकर फेंकने लगे। इसी बीच नक्सली उन्हें ढूंढते हुए पहुंच गये और नजदीक से छाती पर कई गोलियां बरसा दी।

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