वीजा विवाद को लेकर कांग्रेस नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर
हमला करने का मौका नहीं चूक रही है. ताजा हमला बोला है संजय निरुपम ने.
संजय निरुपम ने कहा कि अगर बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह द्वारा अमेरिकी
प्रशासन से मोदी के लिए वीजा मांगाना सही है तो 65 सांसदों द्वारा वीजा के
खिलाफ ओबामा प्रशासन को चिट्ठी लिखना बिल्कुल सही है.
संजय निरुपम ने कहा, 'इस मुद्दे पर कांग्रेस ने अपना रुख पहले ही साफ कर दिया है. जहां तक चिट्ठी विवाद का मामला तो अगर कोई देश मोदी को वीजा नहीं देना चाहता है ऐसे में यह उन देशों के बीच का मसला है.'
उन्होंने कहा, 'अगर बीजेपी अध्यक्ष अमेरिका जाकर मोदी को वीजा दिए जाने की वकालत करते हैं और बीजेपी इसे गलत मानती है तो वीजा के खिलाफ 65 सांसदों द्वारा लिखी गई चिट्ठी भी गलत है. अगर राजनाथ सिंह का यह कदम सही है तो मोदी को वीजा दिए जाने की मुखालफत करना भी सही है.'
गौरतलब है कि लोकसभा के 40 और राज्यसभा के 25 सदस्यों ने ओबामा को पत्र लिखकर मोदी को अमेरिकी वीजा नहीं देने की नीति को जारी रखने की अपील की थी. राज्यसभा के 25 और लोकसभा के 40 सदस्यों ने क्रमश: 26 नवंबर और पांच दिसंबर 2012 को यह पत्र लिखा था और इसे 22 जुलाई को व्हाइट हाउस के लिए फिर से फैक्स किया गया था.
हालांकि बाद में कई सांसदों ने ऐसी किसी चिट्ठी पर दस्तखत करने की बात को नकारा दिया था. इन सांसदों का आरोप है कि इस चिट्ठी में उनके फर्जी हस्ताक्षर का इस्तेमाल हुआ है.
वहीं, कांग्रेस नेता शकील अहमद ने इस विवाद पर चुटकी लेते हुए शनिवार को कहा था कि इस मामले की जांच फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टीगेशन (एफबीआई) से कराने के लिए बीजेपी को बराक ओबामा को पत्र लिखना चाहिए.
संजय निरुपम ने कहा, 'इस मुद्दे पर कांग्रेस ने अपना रुख पहले ही साफ कर दिया है. जहां तक चिट्ठी विवाद का मामला तो अगर कोई देश मोदी को वीजा नहीं देना चाहता है ऐसे में यह उन देशों के बीच का मसला है.'
उन्होंने कहा, 'अगर बीजेपी अध्यक्ष अमेरिका जाकर मोदी को वीजा दिए जाने की वकालत करते हैं और बीजेपी इसे गलत मानती है तो वीजा के खिलाफ 65 सांसदों द्वारा लिखी गई चिट्ठी भी गलत है. अगर राजनाथ सिंह का यह कदम सही है तो मोदी को वीजा दिए जाने की मुखालफत करना भी सही है.'
गौरतलब है कि लोकसभा के 40 और राज्यसभा के 25 सदस्यों ने ओबामा को पत्र लिखकर मोदी को अमेरिकी वीजा नहीं देने की नीति को जारी रखने की अपील की थी. राज्यसभा के 25 और लोकसभा के 40 सदस्यों ने क्रमश: 26 नवंबर और पांच दिसंबर 2012 को यह पत्र लिखा था और इसे 22 जुलाई को व्हाइट हाउस के लिए फिर से फैक्स किया गया था.
हालांकि बाद में कई सांसदों ने ऐसी किसी चिट्ठी पर दस्तखत करने की बात को नकारा दिया था. इन सांसदों का आरोप है कि इस चिट्ठी में उनके फर्जी हस्ताक्षर का इस्तेमाल हुआ है.
वहीं, कांग्रेस नेता शकील अहमद ने इस विवाद पर चुटकी लेते हुए शनिवार को कहा था कि इस मामले की जांच फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टीगेशन (एफबीआई) से कराने के लिए बीजेपी को बराक ओबामा को पत्र लिखना चाहिए.
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