Goat Cafe |
रीना कावागूची ने तीन वर्ष पहले अपने कैफे में दो बकरियां चैरी तथा चॉकलेट पाली थीं और उनका इरादा इनके जरिये जानवरों से प्रेम करने वाले लोगों को अपने कैफे की ओर आकर्षित करना था। उन्होंने बताया कि उस समय बिल्लियों या कुत्ते वाले कैफे की भरमार थी और वह कुछ हटकर करना चाहती थीं। इस नये कैफे में जब भी कोई व्यक्ति काफी पीने जाता है तो वह बकरी को पालने का लुत्फ तो उठा ही सकता है साथ ही उसे घुमाने ले जाने के लिये भी ले जा सकता है। वे बकरी को शिबूया स्टेशन के आस-पास भीड़भाड़ वाले इलाके में घुमाने के लिये ले जा सकते हैं। इस कैफे में आने वाले 21 वर्षीय छात्र कोतारो नकाजातो ने कहा कि जब आप इस जैसे शहर में रहते हैं तो आपको पता चलता है कि यहां कोई भी जानवर मौजूद नहीं है और जानवरों के दर्शन करने के लिये आपको दूरदराज के इलाकों में जाना पड़ता है। इस तरह के कैफे की वजह से हम प्रकृति के साथ अधिक जुड़ाव महसूस करते हैं। इन बकरियों को संभाल पाना भी एक टेढ़ी खीर है। कैफे के कर्मचारियों को उन्हें ग्राहकों के बीच घुमाते रहना पड़ता है और उनके बदबू करने की प्रवृत्ति पर काबू पाने के लिये उन्हें विशेष विटामिन की गोलियां खिलाई जाती हैं।
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