Monday, 29 July 2013

मलाला की डायरी से तालिबान के तेवर ढीले

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MLALA YUSUF REJA

पाकिस्तान के सरकारी स्कूलों में मलाला यूसुफजई की डायरी के अंश का नियमित पाठ कर लड़कियां विपरीत परिस्थिति में भी पढ़ाई के लिए प्रेरित हो रही हैं, जिसे देखकर तालिबान के तेवर ढीले पड़ने लगे हैं।
तालिबान ने पिछले वर्ष मलाला पर जानलेवा हमला किया था। उसके सिर पर गोली लगी और उसे इलाज के लिए विदेश भेजा गया। विपरीत स्थिति में उसने पढ़ने का जो साहस दिखाया, उसकी कीमत उसे भले ही तालिबान हमले के रूप में चुकानी पडी, लेकिन उसकी हिम्मत को देख आतंकवाद प्रभावित पाकिस्तान में लडकियां पढने लिखने की हिम्मत दिखाने लगी हैं। कई सरकारी स्कूलों में लड़कियां मलाला की डायरी का नियमित पाठ कर रही है और इससे उन्हें पढने लिखने की प्रेरणा मिल रही है। 
   
लड़कियों के रुख में आ रहे इस क्रांतिकारी बदलाव को देखकर मलाला पर हमला करने वाले तालिबान का रुतबा फीका पड़ रहा है। तालिबान को नहीं लगता है कि लड़कियां अब उनकी पढाई लिखाई नहीं करने की विचार धारा का पालन करेंगी। उसने अब रणनीति बदली है और कहने लगा है कि मलाला पर पढ़ाई लिखाई के विरोध में नहीं, बल्कि तालिबान विरोधी गतिविधियों की वजह से हमला हुआ। तालिबान के लड़ाके तथा पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ की हत्या के प्रयास में वांछित अदनान राशिद ने मलाला को वापस लौटकर देश में लडकियों को शिक्षित करने का अनुरोध किया है।
     
डायरी में लड़कियों को प्रेरित करते हुए कहा गया है आइए हम अपनी किताब और कलम उठाएं। यही हमारे सबसे ताकतवर और अहम हथियार हैं। एक बच्चा, एक अध्यापक, एक कलम और एक किताब हमारी पूरी दुनिया को बदल सकते है। दुनिया को बदलने के लिए शिक्षा ही एक मात्र उपाय है।
       
मलाला तालिबान पर करारा हमला करती है। उसकी डायरी के हर पन्ने में आतंकवादियों के सवालों का जवाब है। वह संयुक्त राष्ट्र से भी पख्तून इलाके में लड़कियों की पढ़ाई पर विशेष ध्यान देने को कह रही है। तालिबान जैसे कट्टरपंथी उसके निशाने पर हैं। डायरी में लिखा है कि उन्होंने मेरी दोस्त को गोली मारी है। उनको लगता है कि बंदूक की गोली हमारी आवाज बंद कर देगा, लेकिन इस उपक्रम में पूरी तरह से असफल हुए हैं। उन्होंने जितना हमारी आवाज को बंद कराने का प्रयास किया है, हमारी आवाज उससे हजारों गुणा अधिक ताकत के साथ गूंजने लगी है।
      
मलाला की डायरी पढ़ने के बाद एक लड़की कहती है कि तालिबानी उसे स्कूल जाने से नहीं रोक सकते हैं, क्योंकि प्रत्येक इंसान का अपना अलग जीवन होता है और उस पर सिर्फ उसी का हक है। हत्यारे उस पर हमला नहीं कर सकते हैं, क्योंकि उनको ऐसा करने का हक नहीं है। हमें अपने प्रतिभाशाली लोगों का सम्मान करना चाहिए, जिस तरह से हम लडकियां आज मलाला का सम्मान कर रही हैं।

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