Tuesday, 30 July 2013

नगर निगम की फाइलें जांचने पहुंचा बंदर


 
इंदौर। नगर निगम में कामकाज कैसे होता है, कौन अफसर कहां बैठता है और क्या काम करता है? यह देखने कल दोपहर 2 बजे वानरराज (बंदर) निगम मुख्यालय पहुंच गए। निरीक्षण की शुरूआत एमआईसी सदस्य अजय सिंह नरूका के केबिन से की। थोड़ी देर नरूका की टेबल पर बैठकर इंतजार होने लगा, मगर कोई मतलब नहीं रहा, नरूका पहुंचे ही नहीं।

वानरराज के आने की खबर निगम गलियारों में फैलते ही देखने वालों की भीड़ लग गई। बाबू से लेकर कर्मचारी अपना काम छोड़कर उनकी आवभगत में लग गए। नरूका के न मिलने पर वानरराज ने सोचा चलो साहब यानी मेयर मोघे से मुलाकात कर ली जाए। फिर क्या था, वानरराज केबिन से निकले और दिलीप शर्मा, गोपाल मालू और सुरेश कुरवाड़े के केबिन में झांकते हुए पहुंच गए परिषद कार्यालय के गलियारे में।

यहां पहले सभापति राजेंद्र राठौर से मिलने के लिए वानरराज उनके केबिन की तरफ बढ़े, लेकिन न जाने क्या हुआ कि अपने कदम पीछे कर लिए। शायद वानरराज को पता था कि मिलने पर यहां कुछ होना नहीं इसलिए वह परिषद कार्यालय में फाइलें चेक करने पहुंच गए। दफ्तर में वानरराज को 3 बज गए।

हालांकि वानरराज को बाहर निकालने के लिए निगमकर्मियों ने रिश्वत के रूप में चने, बिस्कुट, जाम और केले देने की कोशिश की, लेकिन इससे नाराज होकर उन्होंने निगमकर्मियों को फटकार लगाकर चांटा मारने की कोशिश की।

नक्शों की देखी फाइल

परिषद कायार्लय में निरीक्षण के बाद वानरराज निगम के मलाईदार विभाग भवन अनुज्ञा शाखा यानी नक्शा विभाग में पहुंचे। जिस हॉल में बिल्डिंग अफसर और इंस्पेक्टर बैठते हैं, उसमें सबसे पहले वानरराज पहुंचे। जैसे ही अफसरों ने उनको देखा सब कुर्सी छोड़कर खड़े हो गए। टेबल पर रखी फाइलें चेक करने के बाद वानरराज सिटी इंजीनियर हरभजन सिंह के केबिन की तरफ बढ़े, लेकिन वह मिले नहीं। वानराज को आता देख नक्शा विभाग के कर्मचारियों ने विभाग का दरवाजा लगा दिया, जिसे उन्होंने कैसे न कैसे खुलवा लिया।

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