कोटा। अनंतपुरा तालाब बस्ती व उससे सटी हुई केसर कॉलोनी में लोग
रविवार की रात 1 बजे को गहरी नींद में सो रहे थे और उनके घरों में पानी घुस
रहा था। पानी बिस्तरों तक पहुंचा तो लोगों को पता चला। पूरे इलाके में
हड़कंप मच गया। लोगों ने बच्चों को छतों पर भेजना शुरू किया।
कुछ लोग सामान छोड़कर बच्चों को साथ लेकर सुरक्षित स्थान पर पहुंच गए। कुछ लोग सामान बचाने की जुगत में लगे रहे तो पानी से घिर गए। सुबह 4 बजे प्रशासन अलर्ट हुआ। नगर निगम के अधिकारी व गोताखोर मौके पर पहुंचे। रेस्क्यू कर घरों में फंसी कुछ महिलाओं को निकाला। कई लोगों ने निकलने से ही मना कर दिया। सोमवार की दोपहर तक भी वहां 3 से 4 फीट पानी भरा हुआ था।
कर्णेश्वर की तरफ से पानी की आवक तेज होने के साथ ही अनंतपुरा तालाब व उसके आसपास के क्षेत्रों में बसे लोगों के लिए खतरे के संकेत शुरू हो जाते हैं। रविवार को भी यही हुआ। शाम तक बस्ती के लोग पानी को लेकर काफी अलर्ट थे, लेकिन रात रात 9-10 बजे तक भी पानी मामूली आया तो लोग बेफिक्र सो गए। पानी की आवक रात करीब 12 बजे से शुरू हुई और 1 घंटे में ही पूरी बस्ती को चपेट में ले लिया।
किनारे खड़े होकर ताकते रहे आधे डूबे मकान: घरों में 3 से 4 फीट पानी भर चुका था। उस समय जो लोग अपनी जान बचाने के लिए मकान पर ताला लगाकर निकल गए, कुछ देर बाद ही उन्हें घर की चिंता सताने लगी। वे तालाब बनी बस्ती के किनारे पर खड़े होकर अपने आधे डूबे मकानों को ताकते रहे। केशर कॉलोनी के रुखसाना, सलमान तथा तालाब गांव ((बस्ती)) निवासी हलीम खान का कहना था कि इस साल फिर नुकसान हो गया। पिछले साल भी फर्नीचर खराब हो गया था और उसके पिछले साल भी यही हाल हुआ था।
कई घरों में चूल्हे नहीं जले
घरों में पानी भरने के कारण कई घरों में चूल्हे ही नहीं जले थे। खाने-पीने का सामान भी घरों में ही रह गया था। उन्होंने अनंतपुरा क्षेत्र में ही रहने वाले अपने रिश्तेदारों के यहां शरण ली।
निगम कार्यालय में फाइलें भीगीं
पानी भरने पर लोगों की सहायता करने वाले नगर निगम के दफ्तर भी महफूज भी नहीं रहे। महाराव उम्मेदसिंह स्टेडियम परिसर में स्थित निगम के सेक्टर कार्यालय में भी रविवार की रात को पानी भर गया। सोमवार की सुबह जब कर्मचारी वहां पहुंचे तो दरवाजा खोलते ही उन्हें इसका पता चला। पानी भरने के कारण वहां रखी जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र सहित कई फाइलें खराब हो गई।
गोताखोर बुलाते रहे, लोग आए नहीं
मुख्य अग्निशमन अधिकारी एवं बाढ़ नियंत्रण कक्ष के प्रभारी संजय शर्मा के अनुसार सुबह 4 बजे गोताखोर विष्णु श्रृंगी व अन्य लोग नाव से लोगों के घरों पर पहुंचे। दरवाजा बजाया और बाहर आने के लिए कहा, लेकिन लोग बाहर आने को तैयार नहीं हुए। कुछ लोगों ने तो अभद्रता तक की। उनका कहना था कि क्यों परेशान कर रहे हो, हमारा कुछ नहीं बिगड़ेगा। हमें अपने हाल पर छोड़ दो। इसके बाद सुबह 7 बजे लौट आए।
सांसद सिंह ने की कमिश्नर से वार्ता
सांसद इज्यराज सिंह ने बाढ़ से बचाव के पुख्ता इंतजाम के बारे में संभागीय आयुक्तअश्विनी भगत व जिला कलेक्टर जोगाराम से चर्चा की। उन्होंने कहा कि बस्तियों में भरे पानी को निकाला जाए। साथ ही खेतों में पानी भरने से हुए नुकसान का सर्वे करवाकर रिपोर्ट राज्य सरकार को भेजी जाए।
रोडवेज की कई बसें बंद
दो दिन तक लगातार हुई मूसलाधार बारिश में नदी-नालों के उफान पर आने से ग्रामीण क्षेत्र के कई मार्ग अवरुद्ध हो गए। ऐसे में रोडवेज को कई मार्गों पर बसें बंद करनी पड़ी। कालीसिंध के उफान पर आने से कोटा-श्योपुर मार्ग अवरुद्ध है। इस मार्ग पर चलने वाली कोटा-मांगरोल, कोटा-श्योपुर, कोटा-दुर्जनपुरा, बागली व करवाड़ बसें बड़ोद तक ही चल रही हैं। ढीबरी, विनायका, गणेशगंज, गेता, करवाड़, इटावा, खातौली आदि गांवों के लिए बसें बंद हैं। आजादपुरा नदी के उफान पर होने से कोटा- सांगोद मार्ग पूरी तरह बंद है।
कनवास का खाल एवं धुलेट नदी के उफान पर होने के कारण कोटा-इकलेरा, धुलेट मार्ग बंद है। इस मार्ग की बसें दरा तक ही जा रही हैं। रोडवेज के यातायात प्रबंधक आरसी गोचर ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र में नदी-नालों के उफान पर होने से कई मार्ग बंद हैं।
कुछ ट्रेनें रद्द, कई का रूट बदला
कोटा-बीना-रुठियाई खंड के अंता व धरनौदा रेलवे स्टेशन के पास रेलवे ट्रैक के नीचे से मिट्टी व गिट्टी बह जाने से लगभग 200 मीटर से रेल पटरी को नुकसान पहुंचा है। अंता के पास ट्रैक को दुरुस्त कर दिया गया है, जबकि धरनौदा के पास के ट्रैक को दुरुस्त किया जा रहा है। सोमवार को बीना की ओर जाने वाली ट्रेन को कोटा से छबड़ा तक ही चलाया गया।
छबड़ा से गुना के बीच आंशिक रूप से रद्द किया गया। ट्रेन के रैक को छबड़ा से कोटा के बीच चलाया जा रहा है। बीना से कोटा आने वाली ट्रेन को बीना से गुना के बीच चलाया गया। गुना से छबड़ा के बीच आंशिक रूप से रद्द किया गया। भिंड-कोटा पैसेंजर ट्रेन को गुना में आंशिक रूप से रद्द किया गया है। इसे गुना से भिंड चलाया गया। कोटा-दमोह पैसेंजर ट्रेन को छबड़ा में आंशिक रूप से निरस्त किया गया है और छबड़ा से कोटा तक चलाया गया। दयोदय एक्सप्रेस, अजमेर-संतराकाक्षी, बीकानेर-पुरी को परिवर्तित रूट वाया नागदा होकर चलाया गया।
बरसात ने उखाड़ दी सड़कें
बरसात के कारण की अधिकतर सड़कें पूरी तरह उखड़ गई हैं। उनमें बड़े-बड़े गड्ढे हो गए हैं। एक भी कॉलोनी ऐसी नहीं बची, जिसमें सड़क सुरक्षित हो। प्रमुख सड़कों पर भी गड्ढे ही गड्ढे दिखाई दे रहे हैं। बैराज रोड, महावीरनगर सर्किल के आसपास, बसंतविहार, नयापुरा चौराहा, पुलिस लाइन रोड, कुन्हाड़ी रोड सहित अन्य इलाकों की सड़कें उधड़ गई हैं। यूआईटी ने 6 माह के भीतर लगभग 60 करोड़ रुपए सड़कें बनाने में खर्च किया था, जिनमें से अधिकतर में गड्ढे पड़ गए हैं। यूआईटी इंजीनियरों का कहना है कि 5 साल के लिए सड़कें बनाने व रखरखाव करने का ठेका दिया हुआ है।
कुछ लोग सामान छोड़कर बच्चों को साथ लेकर सुरक्षित स्थान पर पहुंच गए। कुछ लोग सामान बचाने की जुगत में लगे रहे तो पानी से घिर गए। सुबह 4 बजे प्रशासन अलर्ट हुआ। नगर निगम के अधिकारी व गोताखोर मौके पर पहुंचे। रेस्क्यू कर घरों में फंसी कुछ महिलाओं को निकाला। कई लोगों ने निकलने से ही मना कर दिया। सोमवार की दोपहर तक भी वहां 3 से 4 फीट पानी भरा हुआ था।
कर्णेश्वर की तरफ से पानी की आवक तेज होने के साथ ही अनंतपुरा तालाब व उसके आसपास के क्षेत्रों में बसे लोगों के लिए खतरे के संकेत शुरू हो जाते हैं। रविवार को भी यही हुआ। शाम तक बस्ती के लोग पानी को लेकर काफी अलर्ट थे, लेकिन रात रात 9-10 बजे तक भी पानी मामूली आया तो लोग बेफिक्र सो गए। पानी की आवक रात करीब 12 बजे से शुरू हुई और 1 घंटे में ही पूरी बस्ती को चपेट में ले लिया।
किनारे खड़े होकर ताकते रहे आधे डूबे मकान: घरों में 3 से 4 फीट पानी भर चुका था। उस समय जो लोग अपनी जान बचाने के लिए मकान पर ताला लगाकर निकल गए, कुछ देर बाद ही उन्हें घर की चिंता सताने लगी। वे तालाब बनी बस्ती के किनारे पर खड़े होकर अपने आधे डूबे मकानों को ताकते रहे। केशर कॉलोनी के रुखसाना, सलमान तथा तालाब गांव ((बस्ती)) निवासी हलीम खान का कहना था कि इस साल फिर नुकसान हो गया। पिछले साल भी फर्नीचर खराब हो गया था और उसके पिछले साल भी यही हाल हुआ था।
कई घरों में चूल्हे नहीं जले
घरों में पानी भरने के कारण कई घरों में चूल्हे ही नहीं जले थे। खाने-पीने का सामान भी घरों में ही रह गया था। उन्होंने अनंतपुरा क्षेत्र में ही रहने वाले अपने रिश्तेदारों के यहां शरण ली।
निगम कार्यालय में फाइलें भीगीं
पानी भरने पर लोगों की सहायता करने वाले नगर निगम के दफ्तर भी महफूज भी नहीं रहे। महाराव उम्मेदसिंह स्टेडियम परिसर में स्थित निगम के सेक्टर कार्यालय में भी रविवार की रात को पानी भर गया। सोमवार की सुबह जब कर्मचारी वहां पहुंचे तो दरवाजा खोलते ही उन्हें इसका पता चला। पानी भरने के कारण वहां रखी जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र सहित कई फाइलें खराब हो गई।
मुख्य अग्निशमन अधिकारी एवं बाढ़ नियंत्रण कक्ष के प्रभारी संजय शर्मा के अनुसार सुबह 4 बजे गोताखोर विष्णु श्रृंगी व अन्य लोग नाव से लोगों के घरों पर पहुंचे। दरवाजा बजाया और बाहर आने के लिए कहा, लेकिन लोग बाहर आने को तैयार नहीं हुए। कुछ लोगों ने तो अभद्रता तक की। उनका कहना था कि क्यों परेशान कर रहे हो, हमारा कुछ नहीं बिगड़ेगा। हमें अपने हाल पर छोड़ दो। इसके बाद सुबह 7 बजे लौट आए।
सांसद सिंह ने की कमिश्नर से वार्ता
सांसद इज्यराज सिंह ने बाढ़ से बचाव के पुख्ता इंतजाम के बारे में संभागीय आयुक्तअश्विनी भगत व जिला कलेक्टर जोगाराम से चर्चा की। उन्होंने कहा कि बस्तियों में भरे पानी को निकाला जाए। साथ ही खेतों में पानी भरने से हुए नुकसान का सर्वे करवाकर रिपोर्ट राज्य सरकार को भेजी जाए।
रोडवेज की कई बसें बंद
दो दिन तक लगातार हुई मूसलाधार बारिश में नदी-नालों के उफान पर आने से ग्रामीण क्षेत्र के कई मार्ग अवरुद्ध हो गए। ऐसे में रोडवेज को कई मार्गों पर बसें बंद करनी पड़ी। कालीसिंध के उफान पर आने से कोटा-श्योपुर मार्ग अवरुद्ध है। इस मार्ग पर चलने वाली कोटा-मांगरोल, कोटा-श्योपुर, कोटा-दुर्जनपुरा, बागली व करवाड़ बसें बड़ोद तक ही चल रही हैं। ढीबरी, विनायका, गणेशगंज, गेता, करवाड़, इटावा, खातौली आदि गांवों के लिए बसें बंद हैं। आजादपुरा नदी के उफान पर होने से कोटा- सांगोद मार्ग पूरी तरह बंद है।
कनवास का खाल एवं धुलेट नदी के उफान पर होने के कारण कोटा-इकलेरा, धुलेट मार्ग बंद है। इस मार्ग की बसें दरा तक ही जा रही हैं। रोडवेज के यातायात प्रबंधक आरसी गोचर ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र में नदी-नालों के उफान पर होने से कई मार्ग बंद हैं।
कुछ ट्रेनें रद्द, कई का रूट बदला
कोटा-बीना-रुठियाई खंड के अंता व धरनौदा रेलवे स्टेशन के पास रेलवे ट्रैक के नीचे से मिट्टी व गिट्टी बह जाने से लगभग 200 मीटर से रेल पटरी को नुकसान पहुंचा है। अंता के पास ट्रैक को दुरुस्त कर दिया गया है, जबकि धरनौदा के पास के ट्रैक को दुरुस्त किया जा रहा है। सोमवार को बीना की ओर जाने वाली ट्रेन को कोटा से छबड़ा तक ही चलाया गया।
छबड़ा से गुना के बीच आंशिक रूप से रद्द किया गया। ट्रेन के रैक को छबड़ा से कोटा के बीच चलाया जा रहा है। बीना से कोटा आने वाली ट्रेन को बीना से गुना के बीच चलाया गया। गुना से छबड़ा के बीच आंशिक रूप से रद्द किया गया। भिंड-कोटा पैसेंजर ट्रेन को गुना में आंशिक रूप से रद्द किया गया है। इसे गुना से भिंड चलाया गया। कोटा-दमोह पैसेंजर ट्रेन को छबड़ा में आंशिक रूप से निरस्त किया गया है और छबड़ा से कोटा तक चलाया गया। दयोदय एक्सप्रेस, अजमेर-संतराकाक्षी, बीकानेर-पुरी को परिवर्तित रूट वाया नागदा होकर चलाया गया।
बरसात ने उखाड़ दी सड़कें
बरसात के कारण की अधिकतर सड़कें पूरी तरह उखड़ गई हैं। उनमें बड़े-बड़े गड्ढे हो गए हैं। एक भी कॉलोनी ऐसी नहीं बची, जिसमें सड़क सुरक्षित हो। प्रमुख सड़कों पर भी गड्ढे ही गड्ढे दिखाई दे रहे हैं। बैराज रोड, महावीरनगर सर्किल के आसपास, बसंतविहार, नयापुरा चौराहा, पुलिस लाइन रोड, कुन्हाड़ी रोड सहित अन्य इलाकों की सड़कें उधड़ गई हैं। यूआईटी ने 6 माह के भीतर लगभग 60 करोड़ रुपए सड़कें बनाने में खर्च किया था, जिनमें से अधिकतर में गड्ढे पड़ गए हैं। यूआईटी इंजीनियरों का कहना है कि 5 साल के लिए सड़कें बनाने व रखरखाव करने का ठेका दिया हुआ है।
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