किशोरावस्था में गांजे और चरस के सेवन से मानसिक संतुलन स्थायी रूप से खराब
हो सकता है। एक नये अध्ययन में पता चला है कि इससे दिमाग के काम करने और
सोचने-समझने की शक्ति भी खत्म हो सकती है।
अमेरिका के मेरीलैंड विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों का कहना है कि इससे मनोवैज्ञानिक बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। हालांकि उनके मुताबिक सिर्फ किशोरावस्था में इसका सेवन खतरनाक होता है उम्र के इस पड़ाव को पार कर लेने के बाद नहीं। विश्वविद्यालय में स्कूल ऑफ मेडिसिन के डॉक्टर तथा शोधकर्ताओं में से एक असफ केलर ने बताया कि पिछले 20 साल से ज्यादा समय से गांजे और चरस के सेवन से लंबे समय में पड़ने वाले प्रभाव को लेकर विवाद चल रहा था। कुछ ऐसे भी प्रमाण मिले थे कि किशोरावास्था में इसका प्रयोग हानिकारक होता है। शोध से जुड़े एक अन्य वैज्ञानिक सिल्विना मुलिंस ने बताया कि किशोरावस्था एक महत्वपूर्ण काल है, जिसके दौरान गांजे और चरस का इस्तेमाल हानिकारक हो सकता है। हम जानना चाहते थे कि क्या इसका प्रयोग स्थायी स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकता है।
अमेरिका के मेरीलैंड विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों का कहना है कि इससे मनोवैज्ञानिक बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। हालांकि उनके मुताबिक सिर्फ किशोरावस्था में इसका सेवन खतरनाक होता है उम्र के इस पड़ाव को पार कर लेने के बाद नहीं। विश्वविद्यालय में स्कूल ऑफ मेडिसिन के डॉक्टर तथा शोधकर्ताओं में से एक असफ केलर ने बताया कि पिछले 20 साल से ज्यादा समय से गांजे और चरस के सेवन से लंबे समय में पड़ने वाले प्रभाव को लेकर विवाद चल रहा था। कुछ ऐसे भी प्रमाण मिले थे कि किशोरावास्था में इसका प्रयोग हानिकारक होता है। शोध से जुड़े एक अन्य वैज्ञानिक सिल्विना मुलिंस ने बताया कि किशोरावस्था एक महत्वपूर्ण काल है, जिसके दौरान गांजे और चरस का इस्तेमाल हानिकारक हो सकता है। हम जानना चाहते थे कि क्या इसका प्रयोग स्थायी स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकता है।
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