जापान में ढाई साल पहले सुनामी लहरों से बुरी तरह तबाह हुये फुकूशिमा
परमाणु संयंत्र में रेडियो सक्रिय विकरण के अब भी उच्च स्तर होने के कारण
संयंत्र की सफाई में जुटे सुरक्षा विशेषज्ञों की चिंता कम नहीं हो रही है।
समुद्री सुनामी के बाद इसके तटीय क्षेत्रों में रेडियोएक्टिव विकिरण का स्तर समुद्री जल और जलीय जीवों में हानिकारक स्तर से ऊपर पाया गया है। परमाणु विभिषिका से उपजे हालातों और फुकूशिमा संयंत्र की सफाई में जुटे विशेषज्ञों को घटना के ढाई साल बाद भी कई प्रश्नों का ठोस उत्तर नहीं मिल रहा है। मसलन संयंत्र के तहखाने में भूमिगत जल का रिसाव कैसे हुआ, भूजल का रेडियो सक्रिय तत्वों से संक्रमित होना, रिएक्टर के कूलिंग सिस्टम का कार्य न करना इत्यादि।
सफाई में जुटी टोक्यो इलेक्ट्रिक पावर कंपनी [टेपको]के विशेषज्ञों का कहना है कि समुद्र में फैले उच्च विकिरण के कारण वे सफाई कार्य सुचारू रुप से नहीं कर पा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि 11 मार्च, 2011 को आये 9.0 तीव्रता वाले भूकंप और उसके बाद उठी सुनामी से जापान के पूर्वी तट पर बसे विभिन्न शहरों को तबाह कर दिया, जिसमें करीब 20 हजार लोग मारे गये थे। इसमें जापान में अधिकतर परमाणु संयंत्रों को भारी नुकसान पहुंचा था।
इसमें फुकूशिमा परमाणु संयंत्र बुरी तरह प्रभावित हुआ था। इसके रिएक्टर से हाइड्रोजन विस्फोट से समुद्री जल हवा में रेडियो एक्टिव विकिरण उच्च स्तर पर पहुंच गया और संयंत्र को बंद करना पडा़। बीते जनवरी माह में टेपको के विशेषज्ञों ने जांच के दौरान समुद्री मछली में विकिरण स्तर अत्यधिक मापी थी। हालांकि इससे पहले स्थानीय मछुआरे और स्वतंत्र जांचकर्मी इस बात की आशंका पहले भी जता चुके थे, पर टेपको ने इस घटना पर जापानी जनता को अंधेरे में रखा।
इस घटना के बाद टेपको ने अपनी आंतरिक जांच रिपोर्ट में तटीय क्षेत्रों के भूमिगत जल में रेडियोसक्रिय सीजियम, ट्रिटियम और स्ट्रांशियम जैसे तत्व पाये गये थे। टेपको के ऊपर सुनामी से तबाह हुये जापान में करीब पचास रिएक्टरों को दुरुस्त करने का जिम्मा दिया गया है।
समुद्री सुनामी के बाद इसके तटीय क्षेत्रों में रेडियोएक्टिव विकिरण का स्तर समुद्री जल और जलीय जीवों में हानिकारक स्तर से ऊपर पाया गया है। परमाणु विभिषिका से उपजे हालातों और फुकूशिमा संयंत्र की सफाई में जुटे विशेषज्ञों को घटना के ढाई साल बाद भी कई प्रश्नों का ठोस उत्तर नहीं मिल रहा है। मसलन संयंत्र के तहखाने में भूमिगत जल का रिसाव कैसे हुआ, भूजल का रेडियो सक्रिय तत्वों से संक्रमित होना, रिएक्टर के कूलिंग सिस्टम का कार्य न करना इत्यादि।
सफाई में जुटी टोक्यो इलेक्ट्रिक पावर कंपनी [टेपको]के विशेषज्ञों का कहना है कि समुद्र में फैले उच्च विकिरण के कारण वे सफाई कार्य सुचारू रुप से नहीं कर पा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि 11 मार्च, 2011 को आये 9.0 तीव्रता वाले भूकंप और उसके बाद उठी सुनामी से जापान के पूर्वी तट पर बसे विभिन्न शहरों को तबाह कर दिया, जिसमें करीब 20 हजार लोग मारे गये थे। इसमें जापान में अधिकतर परमाणु संयंत्रों को भारी नुकसान पहुंचा था।
इसमें फुकूशिमा परमाणु संयंत्र बुरी तरह प्रभावित हुआ था। इसके रिएक्टर से हाइड्रोजन विस्फोट से समुद्री जल हवा में रेडियो एक्टिव विकिरण उच्च स्तर पर पहुंच गया और संयंत्र को बंद करना पडा़। बीते जनवरी माह में टेपको के विशेषज्ञों ने जांच के दौरान समुद्री मछली में विकिरण स्तर अत्यधिक मापी थी। हालांकि इससे पहले स्थानीय मछुआरे और स्वतंत्र जांचकर्मी इस बात की आशंका पहले भी जता चुके थे, पर टेपको ने इस घटना पर जापानी जनता को अंधेरे में रखा।
इस घटना के बाद टेपको ने अपनी आंतरिक जांच रिपोर्ट में तटीय क्षेत्रों के भूमिगत जल में रेडियोसक्रिय सीजियम, ट्रिटियम और स्ट्रांशियम जैसे तत्व पाये गये थे। टेपको के ऊपर सुनामी से तबाह हुये जापान में करीब पचास रिएक्टरों को दुरुस्त करने का जिम्मा दिया गया है।
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