आज किए गए पलों का सदुपयोग भविष्य में काम आता है। अपने काम के लिए
सर्वश्रेष्ठ प्रयास करने के बावजूद इस बात की संभावना बनी रहती है कि हम कम
समय में अधिक परिणाम हासिल करने में नाकामयाब रहें। ऐसे में कार्यकुशलता
को बढ़ाने वाली बातों को अपनी आदतों में शुमार करना आपके काफी काम आ सकता
है।
योजना:
अधिकतम परिणाम हासिल करने की दिशा में सबसे पहला कदम एक कार्य-योजना बनाना
है। अपने दिनभर के काम की योजना पहले से बना लें, ताकि आप ऑफिस में पूरे
आत्मविश्वास से प्रवेश कर सकें कि आपको दिनभर में किन कामों पर अपना ध्यान
केंद्रित करना है। इससे न सिर्फ आपको अपने काम के उद्देश्यों को समझने में
मदद मिलेगी, बल्कि दिन के अंत में आपको अपनी उपलब्धियों की जानकारी भी होगी
और आप अपने घर चिंतामुक्त होकर जा सकेंगे। जब आप अपने वर्किंग डे और
सप्ताह की योजना बनाते हैं तो दो बाधाएं आपका रास्ता रोक सकती हैं।
टाल-मटोल की प्रवृत्ति:
कार्य को आगे के लिए टालने की प्रवृत्ति महज आज और कल में कम काम होने का
भ्रम उत्पन्न करती है, जिससे आगे आने वाले समय में किए जाने वाले कामों का
ढेर इकट्ठा हो जाता है।
मल्टी-टास्किंग:
कम समय में अधिक काम करने के लिए यह एक उपयोगी उपकरण है, पर यह तब
आपके लिए नकारात्मक साबित होगी, अगर आप बहुत थोड़े समय में अधिक से अधिक
परिणाम हासिल करने की कोशिश करेंगे। अपने दैनिक कार्यो की योजना बनाते समय
पूरी सतर्कता बरतें। व्यावहारिकता बरतते हुए उतने ही कामों को अपनी सूची
में शामिल करें, जिन पर आप पूरी तरह फोकस कर सकते हैं - इससे आप समय और
प्रयास के बेवजह जाल और काम की हड़बड़ी में फंसने से बचेंगे।
शेड्यूल :
इससे अगला कदम अपने काम का शेडय़ूल निर्धारित करने का होना चाहिए।
प्राथमिकता:
सबसे महत्वपूर्ण और पहले किए जाने वाले कार्यों को लिस्ट में सबसे ऊपर
स्थान दें। एक बार यह निश्चित करने के बाद कि कौन से कार्य किए जाने जरूरी
हैं, प्रत्येक काम की गति और समय निश्चित करें। ऐसा करना दिनभर के काम के
संबंध में स्पष्ट तस्वीर पेश करेगा।
वर्क रूटीन:
अपनी सुविधा को समझना जरूरी है। मसलन, क्या आप अपने काम की शुरुआत दिन के
पहले भाग में करके बचे हुए समय का उपयोग मीटिंग और नेटवर्किंग गतिविधियों
के लिए करना पसंद करते हैं? अथवा इसके विपरीत काम करना आपको पसंद आता है?
कोई भी बात हो, ऐसा शेडय़ूल बनाएं, जो आपको न्यूनतम अवरोधों में बेहतर
परिणाम दे सके।
अंतराल:
पूरे फोकस के साथ काम करें, पर ब्रेक लेते हुए खुद को बीच-बीच में रिफ्रेश
करते रहें। इससे आप ऊर्जा और उत्पादकता को बरकरार रख सकेंगे।
संतुलन:
दिन के अंत में आप कितना काम पूरा कर सके, इसे अपनी कार्यकुशलता का आधार न
बनाएं। ऑफिस का काम घर ले जाना न पड़े, यह भी कार्यकुशलता को मापने का एक
मानक है।
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