Saturday 21 December 2013

फिल्म रिव्यू : जैकपॉट

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निर्देशक कैजाद गुस्ताद का फिल्म रिलीज होने से कुछ दिनों पहले बयान आया कि अगर उनकी पिछली फिल्म ‘बूम’ (2003) मौजूदा समय में आई होती तो चल जाती या हिट भी हो सकती थी। दस साल पहले आई फिल्म ‘बूम’ के बारे में जो लोग नहीं जानते, उन्हें बता दें कि अमिताभ बच्चन, जैकी श्रॉफ, जीनत अमान, गुलशन ग्रोवर, कैटरीना कैफ, मधु सप्रे और जावेद जाफरी जैसे सितारों संग ये फि ल्म न केवल गुणवत्ता के लिहाज से, बल्कि बॉक्स ऑफिस पर भी कलंक साबित हुई थी।
‘बूम’ के मामले में मेरा अनुभव ये था कि इंटरवल में ही फिल्म छोड़ चला आया था। बेशक इस फिल्म का गीत-संगीत बेहतरीन था, पर फिल्म में ऐसी उकताहट थी, मानो सीट में अचानक खटमल पैदा हो गये हों। जाहिर है कि यहां ‘बूम’ का नहीं, बल्कि फिल्म ‘जैकपॉट’ का रिव्यू लिखा जा रहा है। ‘बूम’ का जिक्र इसलिए किया गया है, क्योंकि ‘जैकपॉट’ में कैजाद ने क्या गुल खिलाए हैं, बताने में आसानी रहे। तो साहब कैजाद की ये फिल्म ‘बूम’ की बाप है और उससे भी ज्यादा बुरी है। इस फिल्म के लेखक भी कैजाद खुद ही हैं। ये कहानी उन्होंने कैसे लिखी, इसके लिए उन्हें कोई अवॉर्ड मिलना चाहिए, क्योंकि जिस तरह से उन्होंने कहानी को पिरोया है, उसे देख लगता है कि पहला पन्ना कहीं बीच में और अंतिम पन्ना कहानी के शुरू में आ गया है, जिससे न केवल सीन्स, बल्कि पूरी की पूरी कहानी का ढर्रा ही ढह गया है।

बेशक इसे कैजाद की भाषा में ‘डिफरेंट काइंड ऑफ फिल्म मेकिंग’ (एक अलग तरह का सिनेमा) कहेंगे, लेकिन सच ये है कि ये किसी फिल्म की कहानी तो कतई नहीं लगती। नसीरुद्दीन शाह एक कैसीनो चलाते हैं, जिसका नाम है जैकपॉट। उनके किरदार का नाम है बॉस। कोई-कोई उन्हें सरजी भी कहता है। बॉस के सामने फ्रांसिस (सचिन जोशी) और माया (सनी लियोन) करोड़ों रुपये का एक प्रोजेक्ट लाते हैं, जिसके तहत बॉस को एक फन पार्क में 10 करोड़ रुपये इन्वेस्ट करने हैं। इस प्रोजेक्ट की आड़ में फ्रांसिस और माया बॉस के कसीनो में सेंध लगाते हैं और अपने एक साथी द्वारा जीते गये पांच करोड़ के जैकपॉट पर हाथ साफ कर देते हैं। अब बॉस को हर हालत में अपने पांच करोड़ के जैकपॉट को वापस पाना है। इसके लिए वह माया और फ्रांसिस पर नजर रखने लगता है। दोस्तों, इससे ज्यादा कहानी में कहने लायक कुछ नहीं है।

इस फिल्म को सुर्खियों में लाने वाला एकमात्र फैक्टर है सनी लियोन। जी हां, ‘जिस्म 2’ के बाद सनी के बहुतेरे फैन्स को उम्मीद होगी कि इस फिल्म में उन्हें सनी के हॉट सीन देखने को मिलेंगे। जो लोग इस उम्मीद से फिल्म देखने जा रहे हैं, उनके लिए एक टिप है। फिल्म में सनी हॉट जरूर लगी हैं, लेकिन पूनम पांडे से कम। फिल्म में एकमात्र चीज जो अच्छी है, वो है इसका एक गीत। कभी जो बादल बरसे.. गीत का फिल्मांकन और धुन बेहद अच्छी है। ये गीत सनी के लिए सौगात की तरह है, जिसे देख लगता है कि उन्हें फिल्म में किसी ने हीरोइन भी समझा है। अब चूंकि फिल्म के निर्माता सचिन जोशी ही हैं तो उन्होंने सनी के पति डेनियल वेबर को भी एक छोटा-सा रोल दे डाला है।

कुल मिला कर ये ‘जैकपॉट’ नहीं, बल्कि क्रैकपॉट है, जिसके एक सीन में सनी लियोन संवाद बोलती हैं, ‘अंडरवर्ल्ड और सरकार में आखिर फर्क ही क्या है।’ सही है बॉस, जो आता है, सरकार को गाली देकर जाता है। अब सोचिए  कि सनी लियोन के मुख से लास वेगास अंदाज में ये संवाद सुन कर कैसा लगेगा। इसलिए पैसे बचाओ दोस्तों, नया साल मनाने के काम आएंगे।

सितारे: सचिन जोशी, सनी लियोन, नसीरुद्दीन शाह
निर्देशक-लेखक: कैजाद गुस्ताद
निर्माता: रैना सचिन जोशी
बैनर: वाइकिंग मीडिया एंड एंटरटेनमेंट प्रा. लि.
संगीत: शारिब-तोशी, रेमो फर्नाडिज, मिका सिंह, राहुल भट्ट, ऋषि रिचा
संवाद: अमोल पाराशर, कैजाद गुस्ताद
गीत: तुराज, अजीम शिराजी, रेमो फर्नाडिज, कैजाद गुस्ताद, श्रीदेवी केशवान

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