Sunday 22 December 2013

भारत ने यूएन से देवयानी को राजनयिक छूट देने कहा

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भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि यहां के भारतीय मिशन में बतौर महावाणिज्य दूत के तौर पर स्थानांतरित देवयानी खोबरागड़े को राजनयिक छूट एवं कूटनीतिज्ञ के सभी विशेषाधिकार प्रदान किए जाएं।
संयुक्त राष्ट्र में भारतीय राजदूत अशोक मुखर्जी ने 18-19 दिसंबर के आसपास मून को पत्र लिखा। पत्र के साथ उन्होंने दूसरे दस्तावेज भी भेजे। मुखर्जी ने बताया कि हमने मून को सूचित किया कि अब यहां हमारी एक नयी राजनयिक हैं जिन्हें महावाणिज्य दूत बनाया गया है। हमने यह भी लिखा है कि हम चाहेंगे कि उन्हें एक राजनयिक के तौर पर विशेषाधिकार और छूट मिले। हमने यह भी इंगित किया कि हमारे प्रतिनिधिमंडल की सूची में देवयानी का नाम कहां मुद्रित होगा। संयुक्त राष्ट्र ने शुक्रवार को इसकी पुष्टि कर दी कि उसे देवयानी के बारे में भारत से आधिकारिक अधिसूचना हासिल हुई है। देवयानी को संयुक्त राष्ट्र स्थित भारतीय स्थायी मिशन में महावाणिज्य दूत बनाया गया है। अमेरिका में वीजा संबंधी जालसाजी के मामले में गिरफ्तार की गई देवयानी इससे पहले न्यूयॉर्क में भारत की उप महावाणिज्य दूत थीं। संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि भारत की ओर से देवयानी के संदर्भ में किए गए आग्रह पर मानक प्रक्रियाओं के अनुसार पर कार्रवाई की जाएगी। मुखर्जी ने कि कागजातों को लेकर प्रक्रिया चल रही है और संयुक्त राष्ट्र को दस्तावेज अमेरिकी विदेश मिशन कार्यालय भेजने हैं। यह कार्यालय अमेरिकी विदेश विभाग के अंतर्गत आता है। मुखर्जी ने यहां संयुक्त राष्ट्र उन महासचिव जेन एनिसल से मुलाकात की और उन्हें बताया कि भारत ने देवयानी को लेकर आग्रह किया है। भारतीय राजदूत ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र इससे पूरी तरह अवगत है। हमारी ओर से सभी दस्तावेज भेज दिए गए हैं। अब अमेरिकी विदेश विभाग को संयुक्त राष्ट्र के दस्तावेजों पर जवाब देना है। अब मामला संयुक्त राष्ट्र और अमेरिकी विदेश विभाग के बीच का है। उन्होंने कहा कि देवयानी महावाणिज्य दूत के स्तर की राजनयिक हैं, ऐसे में अमेरिकी विदेश विभाग से राजनयिक पहचान पत्र जारी करने की उम्मीद की जाती है। देवयानी को बीते 12 दिसंबर को गिरफ्तार किया गया और बाद में ढाई लाख डॉलर के मुचलके पर जमानत दी गई थी। सूत्रों का कहना है कि राजनयिक छूट देने में संयुक्त राष्ट्र की कोई भूमिका नहीं है क्योंकि मुख्यालय से जुड़े समझौते के तहत यह छूट अमेरिका प्रदान करता है। यह समझौता उस वक्त किया गया था, जब अमेरिका ने प्रस्ताव दिया था कि संयुक्त राष्ट्र का मुख्यालय न्यूयॉर्क में हो।

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