Saturday 21 December 2013

गुलाबी तितली

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भीनी बेटा आओ, अब घर चलें। मम्मी ने आवाज लगाई। पर भीनी तो बागीचे में फूलों और तितलियों के बीच मशगूल थी। मम्मी ने एक बार फिर आवाज दी, बेटा शाम हो रही है, हमें घर जाना है। पौधों के बीच दौड़ते हुए भीनी ने कहा, मम्मी बस एक मिनट। मैं गुलाबी तितली को खोज रही हूं, पता नहीं कहां छुप गई है। इतना कहकर भीनी फिर बागीचे में भागने लगी।
सूरज ढलने वाला था। बाकी बच्चे अपनी मम्मियों के संग घर लौट रहे थे, पर भीनी अब भी गुलाबी तितली को खोज में लगी थी। तभी उन्होंने देखा कि भीनी एक गुलाब के पौधे के चारों ओर खुशी से नांच रही है। उसके हाथ में गुलाबी तितली थी। उसने चिल्लाते हुए कहा- मम्मी मिल गई मुझे तितली। ओह, देखो तो जरा कितनी प्यारी है यह। मैं इसे घर ले चलूंगी। मम्मी ने डांटते हुए कहा- छोड़ों उसे, इस तरह नहीं पकड़ते तितली को। उसे दर्द होगा। मम्मी की डांट सुनते ही भीनी ने अपना हाथ फैला दिया और सुंदर सी गुलाबी तितली उड़ गई। मम्मी ने समझाया कि तितली को पकड़कर रखना सही नहीं है। तितली को खुली हवा और फूलों के बीच रहना अच्छा लगता है। अगर हम उसे घर में बंद करके रखेंगे तो उसे दुख होगा। पर भीनी पर मम्मी की बात का कोई असर नहीं हुआ। घर पहुंचकर भीनी का पढ़ाई में मन नहीं लगा। उसे लगातार गुलाबी तितली की याद आ रही थी। वह हर हाल में उसे अपने घर लाना चाहती थी। भीनी ने सोच रखा था कि अगले दिन वह फिर पार्क में जायेगी और इस बार वह चुपके से तितली को एक डिब्बे में बंद करके घर ले आयेगी। वह चाहती थी कि तितली उसके कमरे में रहे ताकि वह सुबह-शाम जब चाहे उसके संग खेल सके। रात में खाना खाने के बाद भीनी रोजाना की तरह दादी के कमरे में सोने गई। उसे देखते ही दादी ने बड़े प्यार से कहा, आज मैं तुम्हें बहुत बढिया कहानी सुनाने वाली हूं। हां, मैं तुम्हें सुनहरे हिरण की कहानी सुनाऊंगी। पर भीनी बिना कुछ बोले बेड पर लेट गई। दादी समझ गईं कि भीनी का मूड खराब है। दरअसल भीनी की मम्मी ने उन्हें तितली वाली बात बता दी थी। दादी अच्छी तरह जानती थीं कि यह बच्ची आसानी से अपनी जिद छोड़ने वाली नहीं है। भीनी रोज रात में दादी की कहानी सुनकर सोती थी, लेकिन आज वह चुपचाप चादर से मुंह ढककर लेट गई। फिर दादी ने थोड़ा जोर से बोलते हुए कहा- कोई बात नहीं मुझे तो तितली की कहानी भी आती है, चलो यह कहानी मैं तुम्हारी दोस्त पिंकी को सुना दूंगी। तितली का नाम सुनते ही भीनी उछलकर बेड पर बैठ गई। सच दादी, आपको तितली की कहानी आती है। मुझे सुनना है। प्लीज सुनाओ न दादी, प्लीज। दादी बोलीं, तो सुनो। मध्य प्रदेश के रीवा क्षेत्र में एक राजा हुआ करता था। राजा को प्रकृति से बहुत प्यार था। उसके महल के चारों ओर बहुत हरियाली थी। महल में एक अनोखा बागीचा था। वहां तमाम किस्म के फूल जैसे गुलाब, गेंदा, चमेली, सूरजमुखी लगे थे। लोग उसे शाही बागीचा कहते थे। बागीचे की खास बात यह थी कि उसके सभी फूल इंसानों की तरह बात करते थे। भीनी ने कहा, सच दादी, क्या फूल भी बोल सकते हैं। दादी ने कहा, हां बिल्कुल। राजा रोज सुबह बागीचे में टहलने जाते थे और फूलों से उनका हाल-चाल पूछते थे। राजा ने बागीचे की देखभाल के लिये अपने खास दरबारी लगा रहे थे। एक दिन की बात है कि राजा की बेटी स्वर्ण कुमारी अपनी सहेलियों के संग उस बागीचे में खेलने गई। बागीचे में लाल, गुलाबी, सफेद, पीले फूल देखकर राजकुमारी मोहित हो गई। फूल तो फूल वहां मंडरा रहीं तितलियां भी बहुत सुंदर थीं। राजकुमारी तितलियों के पीछे दौड़कर खेलने लगी। राजकुमारी को बड़ा मजा आया। उसने तमाम सारे फूल तोड़ डाले। खेल के दौरान राजकुमारी और उसकी सहेलियों ने कई पौधों को कुचल दिया। तभी बागीचे के मुखिया गुलाब फूल ने उसे समझाया, राजकुमारी जी इस तरह फूलों को मत कुचलिये, हमें दर्द होता है। पर राजकुमारी ने उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया। तभी राजकुमारी की एक सहेली ने कहा, स्वर्ण कुमारी देखो, ये सुनहरी तितली कितनी सुंदर है, चलो इसे महल ले चलते हैं। राजकुमारी ने चहकते हुए उस तितली को अपने हाथ में पकड़ लिया और महल ले आई। महल पहुंचते ही राजकुमारी ने उस तितली को अपने श्रृंगारदान के डिब्बे में बंद करके रख दिया और सो गई। अगली सुबह जब राजा बागीचे में टहलने गये तो वहां का नजारा देखकर चौंक गए। आज वहां एक भी फूल नहीं खिला था, तमाम सारे फूल जमीन पर कुचले हुए पड़े थे। आज वहां एक भी तितली नहीं थी। यह सब देखकर राजा ने बागीचे के मुखिया गुलाब से पूछा, क्या बात है, आज कोई फूल क्यों नहीं खिला। गुलाब ने सारी बात राजा को बता दी। गुलाब ने कहा, महाराज, यहां के सभी फूल राजकुमारी जी के रवैये से बहुत दुखी हैं। फूलों ने फैसला किया है कि जब राजकुमारी सुनहरी तितली को आजाद नहीं करेंगी, वे नहीं खिलेंगे। यह सब सुनकर राजा बहुत दुखी हुआ। महल लौटकर राजा ने राजकुमारी को सजा सुनाई, स्वर्ण कुमारी आज से तुम बागीचे में रहोगी और सारे फूल और तितलियां तुम्हारे कमरे में। यह सुनते ही राजकुमारी रोने लगी। उसने कहा, पिता जी, भला मैं कैसे बागीचे में खुले आसमान की नीचे रह सकती हूं। राजा ने कहा, जैसे तुम खुले आसमान के नीचे नहीं रह सकतीं, वैसे ही फूल और तितलयां तुम्हारे कमरे के अंदर बंद होकर नहीं रह सकते।
जैसे तुम अपने कमरे की चाहरदीवारी में रहने की आदी हो, वैसे ही फूल और तितलियां खुले वातावरण में रहने की आदी हैं। यह प्रकृति का नियम है। हर एक को अपने ढंग से जीने का हक है। यह सुनते ही राजकुमारी ने डिब्बा खोलकर सुनहरी तितली को आजाद कर दिया। तितली झट से उड़कर बागीचे में पहुंच गई। उसे देखते ही बागीचे के सारे फूल खिल उठे और खुशी से हवा में नाचने लगे। बस कहानी खत्म। कहानी सुनते ही, भीनी ने धीरे से कहा, दादी अब मैं गुलाबी तितली को नहीं पकडूंगी। दादी ने प्यार से भीनी को गले लगा लिया।

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