अमेरिकी शोधकर्ताओं ने कहा कि कैंसर का पता लगने के बाद भी धूम्रपान करने
वाले व्यक्ति में मौत का जोखिम धूम्रपान छोड़ चुके व्यक्ति की अपेक्षा कहीं
अधिक होता है।समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रपट के मुताबिक, कैंसर शोध के लिए अमेरिकी एसोसिएशन की पत्रिका 'कैंसर एपीडेमीओलॉजी, बियोमार्कर्स एंड प्रीवेशन' में शुक्रवार को प्रकाशित नये शोध में दिखाया गया कि कैंसर का पता लगने के बाद भी धूम्रपान छोड़ने का समय है। उन्होंने शंघाई और चीन में जीवनशैली की विशेषताओं और कैंसर के खतरे के बीच संबंध की जांच के लिए मध्यम आयुवर्ग और बुजुर्ग पुरुषों के एक अध्ययन आंकड़े का प्रयोग किया। इस अध्ययन में 1986 और 1989 के बीच 45 से 64 आयुवर्ग के 18,000 से अधिक पुरुष नामांकित हुए थे। उन्होंने बताया कि 1,600 प्रतिभागी वर्ष 2010 तक कैंसर से ग्रस्त हुए। इन प्रतिभागियों में से 340 धूम्रपान नहीं करते थे, 545 ने कैंसर इलाज से पूर्व धूम्रपान छोड़ दिया था और 747 इलाज के समय भी धूम्रपान करते थे। कैंसर का उपचार कराने वाले 747 लोगों में से 214 ने इसका पता लगने के बाद धूम्रपान छोड़ दिया था, जबकि 197 ने धूम्रपान जारी रखा। बाकी बचे 336 लोग भी बीच-बीच में धूम्रपान करते रहे। कहा गया कि कैंसर का पता लगने के बाद धूम्रपान करने वाले पुरुषों में ऐसा न करने वाले पुरुषों की तुलना में मौत का जोखिम 59 प्रतिशत तक बढ़ गया था। फ्रेमोंट में कैंसर प्रीवेंशन इंस्टीटय़ूट ऑफ कैलीफोर्निया में एपीडेमीओलॉजिस्ट एवं अध्ययन की लेखिका ली थाओ ने कहा, ''हमारा अध्ययन कैंसर का पता लगने के पश्चात धूम्रपान के प्रभाव का सबूत उपलब्ध कराता है और कैंसर उत्तरजीविता में तंबाकू नियंत्रण के महत्वपूर्ण मुद्दे के समाधान में मदद करता है।''
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