Monday 23 December 2013

सोशल साइट्स पर क्या लिखें, क्या ना लिखें

NeetuSolankisirsa
पिछले दिनों बांग्लादेशी लेखिका तसलीमा नसरीन के खिलाफ लोगों की आस्था को ठेस पहुंचाने के मामले में यूपी में आईटी एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया था, जिसके खिलाफ उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल की है। ऐसे में जानते हैं कि आखिर सोशल साइट या फिर नेट के जरिये क्या कॉन्टेंट डाला जा सकता है और क्या नहीं। आईटी ऐक्ट के तहत कानून में क्या प्रावधान है, यह जानना जरूरी है।

- अगर कोई शख्स सोशल मीडिया या दूसरे ऑनलाइन मीडियम से किसी और की भावनाओं को भड़काता है, अफवाह फैलाता है या फिर किसी और की छवि खराब करता है, या फिर कोई भी ऐसी हरकत करता है जिससे दूसरे की इमेज खराब हो रही हो या फिर मान-हानि हो रही हो, तो ऐसे में आईटी ऐक्ट की धारा-66 ए के तहत केस दर्ज किए जाने का प्रावधान है।

- ऐसी कोई भी जानकारी जो झूठी हो, जिससे व्यक्ति विशेष को मानसिक आघात पहुंचा हो या फिर मान-हानि हुई हो या फिर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचती हो, तो आईटी ऐक्ट के तहत केस दर्ज हो सकता है।

- साइबर एक्सपर्ट पवन दुग्गल बताते हैं कि आईटी ऐक्ट की धारा-66 ए का दायरा काफी व्यापक है। कोई भी ऐसा कॉन्टेंट जो कानून के नजर में गलत है, वह अगर सोशल साइट या फिर नेट के जरिये डाला जाता है तो वह अपराध की श्रेणी में आता है और इसके लिए आईटी ऐक्ट की धारा-66 ए के तहत केस दर्ज हो सकता है।

- वैसे सरकार ने आईटी ऐक्ट की धारा-66 ए के तहत होने वाली गिरफ्तारी के मामले में गाइड लाइंस जारी कर रखी है। इसके तहत प्रावधान है कि किसी आरोपी के खिलाफ कार्रवाई के लिए सीनियर पुलिस अधिकारी की मंजूरी लेनी जरूरी है।

- सेक्शन 66 ए के तहत शिकायत दर्ज करने से पहले ग्रामीण इलाके में डीएसपी लेवल, जबकि शहरी इलाकों में आईजी लेवल के अधिकारी से मंजूरी लेना जरूरी है। उनकी अनुमति के बिना कार्रवाई नहीं होगी।

- आईटी ऐक्ट की धारा-66 ए के तहत केस दर्ज होने के बाद अगर केस साबित हो जाए, तो इसमें 3 साल तक कैद की सजा हो सकती है और जुर्माने का भी प्रावधान है। वैसे इस अपराध को जमानती अपराध माना गया है।

- अगर कोई शख्स फर्जी आईडी के जरिये इंटरनेट पर अकाउंट खोलता है या फिर किसी और के पहचान का इस्तेमाल कर अकाउंट खोलता है या फिर फर्जी आईडी क्रिएट करता है, तो वह आईटी ऐक्ट की धारा-66 सी के तहत अपराध है और इसमें दोषी पाए जाने पर 3 साल तक कैद की सजा का प्रावधान है।

- अगर कोई शख्स इंटरनेट के जरिये या फिर मोबाइल आदि के जरिये इलेक्ट्रानिक माध्यम से अश्लील सामग्री सर्कुलेट करता है, तो ऐसे मामले में आईटी ऐक्ट की धारा-67 के तहत केस दर्ज किए जाने का प्रावधान है और ऐसे मामले में दोषी पाए जाने पर 3 साल तक कैद और 5 लाख रुपए का जुर्माने का प्रावधान है।

- अगर कोई शख्स सेक्सुअल ऐक्ट को इलेक्ट्रानिक माध्यम से सर्कुलेट करता है, तो ऐसे में आईटी एक्ट की धारा-67 ए के तहत केस दर्ज किए जाने का प्रावधान है और उसमें दोषी पाए जाने पर 5 साल तक कैद की सजा हो सकती है और 5 लाख रुपए तक जुर्माना हो सकता है। ये मामला गैर जमानती श्रेणी में रखा गया है।

-अगर कोई शख्स चाइल्ड पॉरनॉग्रफी को सर्कुलेट करता है या फिर ब्राउज भी करता है, तो उसमें आईटी एक्ट की धारा-67 बी ए के तहत केस दर्ज किए जाने का प्रावधान है और दोषी पाए जाने पर 5 साल तक कैद और 10 लाख रुपए तक का जुर्माना भी हो सकता है।"

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