वीजा धोखाधड़ी के आरोपों के चलते भारत की वरिष्ठ राजनयिक देवयानी खोबरागड़े
की गिरफ्तारी और कपड़े उतरवाकर तलाशी लिए जाने के कारण व्याप्त रोष के बीच
अमेरिका में भारत के नए राजदू
त एस़ जयशंकर कल यहां पदभार संभालने
पहुंचेंगे।
अभी तक जयशंकर चीन में भारत के राजदूत थे। जयशंकर ऐसे समय में अमेरिका आ रहे हैं, जब खोबरागड़े की गिरफ्तारी की वजह से द्विपक्षीय संबंधों में गिरावट पिछले एक दशक से ज्यादा समय में सबसे निम्नतम स्तर पर जाने की आशंका है।
खोबरागड़े की गिरफ्तारी और अमेरिकी मार्शलों द्वारा खराब व्यवहार के खिलाफ भारत ने सार्वजनिक माफी और 39 वर्षीय उप महावाणिज्यदूत के खिलाफ आरोपों को वापस लेने की मांग उठाई।
अपनी पीढ़ी में भारतीय विदेश सेवा के सबसे उज्ज्वल अधिकारियों में गिने जाने वाले जयशंकर भारतीय-अमेरिकी असैन्य परमाणु संधि में एक अहम भूमिका निभा चुके हैं। जयशंकर का पहला काम होगा कि वह दोनों देश के संबंधों को पटरी न उतरने दें।
वाशिंगटन पहुंचने के बाद व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के सामने अपने राजनयिक परिचय पत्र को औपचारिक रूप से पेश करने से पहले उन्हें कुछ सप्ताह तक इंतजार करना होगा। फिलहाल ओबामा अपने परिवार के साथ हवाई में साल के अंत की छुट्टियां मना रहे हैं और वे 5 जनवरी को ही लौटेंगे।
व्हाइट हाउस की ओर से ऐसा कोई कार्यक्रम जारी नहीं किया गया है, जिसमें राष्ट्रपति विदेशी राजनयिकों को प्रमाणित करेंगे। ऐसा सामान्यत: सामूहिक रूप से किया जाता है। जयशंकर को रूसी, जापानी और हंगरी की भाषा का ज्ञान है और वे निरूपमा राव के बाद यह पद संभाल रहे हैं।
वर्ष 1955 में नई दिल्ली में जन्मे जयशंकर प्रतिष्ठित भारतीय रणनीतिक कार्यों के विश्लेषक, टिप्पणीकार और जनसेवक के सुब्रमण्यम के बेटे और इतिहासकार संजय सुब्रमण्यम के भाई हैं।
अभी तक जयशंकर चीन में भारत के राजदूत थे। जयशंकर ऐसे समय में अमेरिका आ रहे हैं, जब खोबरागड़े की गिरफ्तारी की वजह से द्विपक्षीय संबंधों में गिरावट पिछले एक दशक से ज्यादा समय में सबसे निम्नतम स्तर पर जाने की आशंका है।
खोबरागड़े की गिरफ्तारी और अमेरिकी मार्शलों द्वारा खराब व्यवहार के खिलाफ भारत ने सार्वजनिक माफी और 39 वर्षीय उप महावाणिज्यदूत के खिलाफ आरोपों को वापस लेने की मांग उठाई।
अपनी पीढ़ी में भारतीय विदेश सेवा के सबसे उज्ज्वल अधिकारियों में गिने जाने वाले जयशंकर भारतीय-अमेरिकी असैन्य परमाणु संधि में एक अहम भूमिका निभा चुके हैं। जयशंकर का पहला काम होगा कि वह दोनों देश के संबंधों को पटरी न उतरने दें।
वाशिंगटन पहुंचने के बाद व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के सामने अपने राजनयिक परिचय पत्र को औपचारिक रूप से पेश करने से पहले उन्हें कुछ सप्ताह तक इंतजार करना होगा। फिलहाल ओबामा अपने परिवार के साथ हवाई में साल के अंत की छुट्टियां मना रहे हैं और वे 5 जनवरी को ही लौटेंगे।
व्हाइट हाउस की ओर से ऐसा कोई कार्यक्रम जारी नहीं किया गया है, जिसमें राष्ट्रपति विदेशी राजनयिकों को प्रमाणित करेंगे। ऐसा सामान्यत: सामूहिक रूप से किया जाता है। जयशंकर को रूसी, जापानी और हंगरी की भाषा का ज्ञान है और वे निरूपमा राव के बाद यह पद संभाल रहे हैं।
वर्ष 1955 में नई दिल्ली में जन्मे जयशंकर प्रतिष्ठित भारतीय रणनीतिक कार्यों के विश्लेषक, टिप्पणीकार और जनसेवक के सुब्रमण्यम के बेटे और इतिहासकार संजय सुब्रमण्यम के भाई हैं।
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