Monday 23 December 2013

अरविंद केजरीवाल: इनकम टैक्स कमिश्नर से मुख्यमंत्री तक का सफर

Image Loading
पैंट के साथ बाहर करके पहनी गई आधी बाजू की ढीली ढाली शर्ट, काली मूंछों वाला ए क नाटे कद का साधारण सा दिखने वाला आदमी। जो कभी ट्रेन का इंतजार करता प्लेटफॉर्म पर जमीन पर सोते नजर आता, तो कभी ऑटो के लिए सड़क पर इंतजार करता।
एक ऐसी शख्सियत, जिसकी भीड़ में कोई पहचान नहीं है। लोग 45 साल के इस शख्स को अरविंद केजरीवाल के नाम से जानते हैं। जो कभी इनकम टैक्स विभाग में अधिकारी हुआ करता था, लेकिन साधारण सी कद काठी वाला यह शख्स कब दिल्ली की सबसे ताकतवर कुर्सी का दावेदार बन गया, यह बाकी पार्टियों को भी पता नहीं चला। हरियाणा के भिवानी जिले के सीवानी मंडी में 16 जून 1968 को गोविंद राम केजरीवाल और गीता देवी के घर जन्माष्टमी के दिन अरविंद का जन्म हुआ और इसीलिए घरवाले प्यार से उन्हें किशन भी बुलाते हैं। हिसार से ही अरविंद ने अपनी हाईस्कूल तक की पढ़ाई पूरी की। उन्होंने 1989 में आईआईटी खड़गपुर से यांत्रिक अभियांत्रिकी में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। यूपीएससी में इंटरव्यू देने से पहले अरविंद केजरीवाल कोलकाता गए थे। कोलकाता में उनकी मुलाकात मदर टेरेसा से हुई। अरविंद ने कालीघाट पर काम किया और शायद यहीं से उन्हें दूसरों के लिए जीने का नजरिया मिला। 1995 में अरविंद इंडियन रेवेन्यू सर्विस के लिये चुने गये थे। ट्रेनिंग के बाद दिल्ली में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में अस्सिटेंट कमिश्नर बने। लेकिन यहां भी अपने लिये उन्होंने खुद नियम बनाये। वो नियम थे, अपनी टेबल को खुद साफ करना, डस्टबिन की गंदगी को खुद हटाना, किसी काम के लिये चपरासी का इस्तेमाल नहीं करना। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में नौकरी करते हुये ही केजरीवाल ने डिपार्टमेंट में भ्रष्टाचार कम करने की मुहिम शुरु कर दी थी। साल 2000 में केजरीवाल ने परिवर्तन नाम के एक एनजीओ की शुरुआत की। बैनर पोस्टर छपवाये। जिन पर लिखा था रिश्वत मत दीजिये, काम न हो तो हमसे संपर्क कीजिये। परिवर्तन के जरिए उन्होंने देश भर में सूचना के अधिकार का अभियान चलाया। बिल बेशक केंद्र सरकार ने पारित किया हो, लेकिन जनता के बीच जाकर उन्हें जागृत करने का जिम्मा अरविंद और उनके परिवर्तन ने उठाया। अरविंद को 'राइट टू इन्फॉरमेशन' पर काम के लिये एशिया का नोबल पुरस्कार कहा जाने वाला मैग्सेसे अवार्ड मिला। परिवर्तन की लड़ाई का ही अगला चरण था जनलोकपाल। यह सिलसिला बढ़ता गया और केजरीवाल ने फरवरी 2006 में नौकरी से इस्तीफा दे दिया और पूरे समय के लिए सिर्फ परिवर्तन में ही काम करने लगे। इसके बाद देश में शुरू हुआ भ्रष्टाचार के खिलाफ सबसे बड़ा आंदोलन। आंदोलन को जनसमर्थन तो पूरा मिला, लेकिन जनलोकपाल बिल नहीं बन पाया। केजरीवाल ने राजनीति में आने का फैसला किया। यहीं से अन्ना हजारे और केजरीवाल के रास्ते अलग हो गए, लेकिन केजरीवाल अन्ना के बिना भी आगे बढ़ते गए। 26 नवंबर 2012 में केजरीवाल की आम आदमी पार्टी अस्तित्व में आई। महज एक साल पहले पैदा हुई आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में काबिज कांग्रेस और बीजेपी को कड़ी टक्कर दी और 28 सीटों पर जीत हासिल की।

No comments:

Post a Comment