Saturday 21 December 2013

ब्लॉग: केजरीवाल की सरकार बनेगी लेकिन हो सकता है दिल्ली में महाड्रामा?

आम आदमी पार्टी की कहानी किसी हिंदी धारावाहिक सीरियल से कम नहीं है. सीरियल की तरह ही सस्पेंस है, रोमांच है, ड्रामा है और मारपीट की जगह दादागीरी भी हो सकती है. अरविंद केजरीवाल कभी कहते हैं कि समर्थन नहीं लेंगे ना देंगे, फिर कहते हैं कि उनका मन कांग्रेस से समर्थन लेकर सरकार बनाने का नहीं है, तो कभी कहते हैं कि जनता ही तय करेगी कि सरकार बनाना है या नहीं और अब कहते हैं जनता चाहती है कि वो सरकार बनाएं.

अंग्रेजी अखबार इकनॉमिक टाइम्स के मुताबिक केजरीवाल ने कहा कि अगर उन्होंने सरकार बनाकर अपने वादे पूरे कर दिए तो लोकसभा चुनाव में फायदा होगा. अब इससे साफ हो गया है कि अब वो सरकार बनाने में देरी नहीं करेंगे चूंकि उनकी निगाहें अब लोकसभा पर है.

क्या केजरीवाल डर गये हैं?

केजरीवाल का कहना है कि दिल्ली के 75 फीसदी लोग चाहते हैं कि आम आदमी पार्टी सरकार बनाएं. उनका मानना है कि सरकार बनाकर जनता को किए वादे पूरे करने से उन्हें लोकसभा चुनाव में बड़ा फायदा होगा. करीब इतने लोगों की ही राय सर्वे के मुताबिक है. एबीपी न्यूज-नील्सन के सर्वे के मुताबिक 80 फीसदी लोग चाहते हैं कि केजरीवाल को सरकार बनाना चाहिए, यह वो लोग हैं जो आम आदमी पार्टी को वोट दिया है. हालांकि ये ओवरसैंपलिंग है.

वोटरों से ये पूछा गया कि क्या दिल्ली में फिर से चुनाव होना चाहिए तो 64 फीसदी लोगों की राय है कि चुनाव नहीं होना चाहिए जबकि 33 फीसदी लोगों की राय है कि दोबारा चुनाव होना चाहिए. दूसरी बड़ी बात है कि आम आदमी पार्टी के ड्रामेबाजी से उन्हीं के पार्टी के वोटर नाराज है यानि अभी हाल के चुनाव में 71 फीसदी वोटर ने वोट किया था अब सिर्फ 64 फीसदी लोग कहते हैं कि आम आदमी पार्टी को वोट देंगे यानि 15 दिनों में 10 फीसदी की गिरावट हुई है. ये इसीलिए हो रहा है क्योंकि केजरीवाल की टीम सरकार बनाने के लिए हाई वोल्टज ड्रामा कर रही है ताकि उनकी पार्टी को फायदा हो लेकिन उल्टे नुकसान हो रहा है.

केजरीवाल ने चुनावी घोषणा पत्र में दिल्लीवासियों को सपना दिखाया है कि 50 फीसदी बिजली बिल कम करेंगे और 700 लीटर पानी एक परिवार को दिया जाएगा.  इसी से काफी वोटर प्रभावित होकर वोट दिया है लेकिन वोटरों को लगता है कि शायद उनका सपना पूरा नहीं हो इसीलिए नाराजगी भी दिख रही है वहीं केजरीवाल सरकार बनाने के लेकर ना ना करते हुए जनता से रायशुमारी में ऐसे फंसे कि अब पीछे पैर खींचना खतरे से खाली नहीं है. अब सरकार नहीं बनाएंगे तो आम आदमी पार्टी की फजीहत हो सकती है ऐसे में नहीं लगता है कि केजरीवाल सरकार ना बनाने का रिस्क लेंगे.

दिल्ली में हो सकता है हाई वोल्टेज ड्रामा?

अरविंद केजरीवाल राजनीतिक बस के ऐसे ड्राईवर होंगे जिन्हें सरकार चलाने का कोई तर्जुबा नहीं है लेकिन कम समय में इतनी स्पीड में सरकार दौ़ड़ाने की कोशिश होगी कि नियम-कायदे तोड़े जा सकतें है, अफरातफरी हो सकती है, प्राइवेट कंपनियों और अफसर से नोंकझोंक और टकराहट हो सकती है चूंकि वो तीन महीने में ही 5 साल के कार्यकाल की दूरी तय करने की कोशिश करेंगे चूंकि उन्हें दिल्ली वासियों और देश वासियों को दिखाना है कि उनकी पार्टी कांग्रेस और बीजेपी से अलग है और लोकसभा चुनाव से वाहवाही भी लूटनी होगी.

यूं कहें दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल बनते हैं तो हर दिन हंगामा हो सकता है चूंकि वो अफसर को दबाव डालेंगे कि जल्दी-जल्दी काम का निपटारा किया जाए लेकिन अफसर 5 साल का काम 6 महीने में कैसे निपटाएंगे वहीं बिजली कंपनी पर बिजली बिल कम करने का दबाव डाला जाएगा नहीं मानने पर सरकार के तरफ से धमकी भी दी जा सकती है लेकिन ज्यादा दबाव डालने पर बिजली कंपनी दिल्ली में बिजली सप्लाई करने से मना कर सकती है.

बेहतर तो ये हो कि सरकार सब्सिडी दे लेकिन इससे भी सरकार की किरकिरी हो सकती है ऐसे में बिजली कंपनी बिजली सप्लाई करने से मना करती है तो केजरीवाल के लिए मुश्किल खड़ी हो सकती है. वहीं लोगों के 700 लीटर पानी देने का वायदा किया है जाड़े में दिक्कत तो नहीं होगी लेकिन गर्मी में दिक्कत हो सकती है.

पानी माफिया पर नकेल कसने की कोशिश होगी यानि दिल्ली में बिना टिकट और पैसे का केजरीवाल टीम का ड्रामा दिखने को मिलेगा. केजरीवाल बहुत ही उत्साहित व्यक्ति हैं उनकी नजर सीएम पद पर ही नहीं पीएम पद पर है . धैर्य से काम नहीं लेंगे तो उनके राजनीतिक बस में खराबी पैदा हो सकती है, ब्रेक फेल हो सकता है, गियर फंस सकता है और इसका असर स्टियरिंग पर भी पड़ सकता है.

दिल्ली हो सकता है राजनीतिक रूप से अशांति जोन?

आम आदमी पार्टी की सरकार अभी नहीं बनी है लेकिन उसके पहले कानून की धज्जियां उड़ाने का काम शुरू हो गया है. आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने अतिक्रमण हटाने गए दस्ते को रोक दिया है.

मनीष सिसोदिया सहित आम आदमी पार्टी के कई कार्यकर्ताओं ने अक्षरधाम के पास अवैध झुग्गियां हटाने पहुंचे दस्ते को काम करने से सिर्फ रोका ही नहीं बल्कि वहां हंगामा भी किया. दस्ता हाईकोर्ट के आदेश पर कार्रवाई के लिए गया था लेकिन हाईकोर्ट के फैसले को भी आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता मानने से इंकार कर दिया है.

बिजली, पानी और भ्रष्ट्राचार के मुद्दे पर नकेल कसने, दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा, जनलोकपाल बिल के मुद्दे पर कांग्रेस ने समर्थन देने का वादा किया है लेकिन आम आदमी पार्टी की कोशिश होगी इन्हीं मु्दों को लेकर कांग्रेस और बीजेपी को घेरने का काम किया जाएगा तो कांग्रेस और बीजेपी वाले भी चुप नहीं बैठेंगे. जहां थोड़ी से गड़बड़ी होगी तो ये पार्टियां चुप कहां रहेगी.

आम आदमी पार्टी का मकसद है जनता के वायदे पर खड़ा उतरना लेकिन सहनशीलता, धैर्य और बुद्धिमता से काम नहीं लिया गया तो आम आदमी पार्टी बुरी तरह फंस भी सकती है लेकिन अरविंद केजरीवाल अपने कामों में सफल हो जाते हैं तो देश के इतिहास में एक नये युग की शुरूआत हो सकती है. अब सवाल ये उठता है कि दिल्ली की गद्दी केजरीवाल के लिए फूलों की सेज होगा या कांटों का ताज होगा ये कहना अभी मुश्किल है.

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