स्टार पुत्रियों में सोनाक्षी सिन्हा ने बहुत ही कम समय में काफी फिल्में
कर ली हैं। उनकी
ज्यादातर फिल्में बॉक्स ऑफिस पर सफलता के झंडे भी गाड़
चुकी हैं, पर 2013 उनके लिए ज्यादा लकी साबित नहीं हुआ। इस साल उनकी फिल्म
‘वन्स अपॉन ए टाइम इन मुंबई दोबारा’ को असफलता का मुंह देखना पड़ा। फिलहाल
वह एक के बाद रिलीज हो रही अपनी दो फिल्मों को लेकर उत्साहित हैं।
इनमें से एक है तिग्मांशु धूलिया निर्देशित हालिया रिलीज ‘बुलेट राजा’, जिसमें उन्होंने पहली बार सैफ अली खान के साथ काम किया है। वहीं दूसरी फिल्म है 6 दिसंबर को रिलीज होने वाली प्रभु देवा निर्देशित ‘आर.. राजकुमार’, जिसमें उन्होंने पहली बार शाहिद कपूर के साथ काम किया है। शाहिद ऐसे कलाकार हैं, जिनकी ज्यादातर फिल्में बॉक्स ऑफिस पर असफल ही रही हैं, लेकिन सोनाक्षी की नजर में शाहिद प्रतिभाशाली कलाकार हैं। एक सप्ताह के अंतर पर दो-दो फिल्मों की रिलीज के बावजूद सोनाक्षी को कोई टेंशन नहीं है। एक के बाद एक आपकी दो फिल्में रिलीज हो रही हैं, कैसा लग रहा है?
बहुत उत्साहित हूं। दोनों ही फिल्में अलग-अलग ध्रुवों की हैं। दोनों फिल्मों के निर्देशक भी अलग-अलग छोर के हैं। ‘बुलेट राजा’ के निर्देशक तिग्मांशु धूलिया जहां रियलिटी सिनेमा बनाने में माहिर हैं, वहीं ‘आर.. राजकुमार’ के निर्देशक प्रभु देवा मनोरंजक कमर्शियल फिल्में बनाने में माहिर हैं। लगता है, आपको एक साथ कई फिल्मों की शूटिंग करने में महारत हासिल हो गयी है?
हां, ऐसा कह सकते हैं। एक साथ दो-तीन फिल्मों की शूटिंग करने की कला में माहिर हो चुकी हूं। पर आपने यह भी देखा होगा कि मैं हर फिल्म में एकदम अलग तरह के किरदार निभा रही हूं, इसलिए समस्या होने का सवाल ही नहीं उठता। ‘बुलेट राजा’ का किरदार किस तरह का है?
यह फिल्म एक तरफ दोस्ती की बात करती है तो दूसरी तरफ उसूलों वाले गैंगस्टर की कहानी कहती है। इसमें मैंने बंगाली लड़की मिताली का किरदार निभाया है, जो कोलकाता में रहने वाली एक स्ट्रगलिंग एक्ट्रेस है।
‘लुटेरा’ में बंगाली लड़की पाखी के बाद अब ‘बुलेट राजा’ में भी आपने बंगाली लड़की मिताली का किरदार निभाया है... ऊपरी तौर पर पाखी और मिताली बंगाली हैं, मगर दोनों ही किरदारों में जबरदस्त कंट्रास्ट है। ‘लुटेरा’ की पाखी 1950 के जमींदार परिवार की लड़की थी, जबकि ‘बुलेट राजा’ की मिताली एक संघर्षरत कलाकार है। मैं भी आज की लड़की हूं। मुझे अभिनेत्री बनने के लिए स्ट्रगल नहीं करना पड़ा, पर मिताली स्ट्रगल कर रही है। फिल्म ‘आर.. राजकुमार’ का किरदार क्या है?
एकदम राउडी किरदार है। वह ऐसे शहर में पली-बढ़ी है, जहां उसने बहुत वॉयलेंस देखा है, इसलिए वह खुद गुंडों से मुठभेड़ करती रहती है। उन्हें मारती रहती है। एक दिन उसकी मुलाकात राजकुमार से हो जाती है। उसके साथ उसका प्यार भी अलग ढंग का है। आपने अब तक कई निर्देशकों के साथ काम किया है। पसंदीदा निर्देशक कौन हैं?
मुझे सबसे ज्यादा प्रभु देवा और विक्रमादित्य मोटवानी के साथ काम करना पसंद है। फिल्म ‘लुटेरा’ के समय मैंने महसूस किया कि विक्रमादित्य मोटवानी के काम करने की शैली बहुत अलग है। वहीं प्रभु देवा उस तरह की फिल्में बनाते हैं, जिस तरह की फिल्में देखना मुझे पसंद है। उनके साथ मैंने पहले भी काम किया है, इसलिए उनके साथ एक कम्फर्ट लेवल बन गया है। वैसे तिग्मांशु धूलिया बहुत ही बेहतरीन निर्देशक व अच्छे इंसान हैं। फिल्मों में हीरोइनें बिकिनी पहन कर पानी में भीगती हैं या स्वीमिंग पुल से निकलती हैं, लेकिन ‘आर.. राजकुमार’ में आप तो साड़ी पहन कर..?
यह आइडिया निर्देशक प्रभु देवा का ही था कि साड़ी में ही पानी से बाहर निकलो। प्रभु सर का अंदाज ही कुछ ऐसा है कि वह हर फिल्म में कुछ न कुछ नयापन ले ही आते हैं। प्रभु सर को पता था कि मैं बिकिनी गर्ल नहीं हूं। मैं कभी भी बिकिनी नहीं पहनूंगी। फिल्म में आपने अपने पिता का तकिया कलाम ‘खामोश’ दोहराया है?
इस संबंध में मेरी मेरे पिताजी से या किसी से कोई बात नहीं हुई। फिल्म के निर्माता व निर्देशक ने इसे एक गाने में डाल दिया और जब मुझे गाना सुनाया तो पहले मुझे लगा कि वह मजाक कर रहे हैं, लेकिन उन्होंने इसे गाने में डाला था। फनी सिचुएशन थी और गाने के अंत में यह एकदम फिट भी बैठता था। फिल्म का ट्रेलर देख कर आपके पापा ने कुछ कहा?
उन्होंने देखा ही नहीं। वह तो अमेरिका में हैं। यह मेरे काम का हिस्सा है। परदे पर अभिनय करने के ही मुझे पैसे मिलते हैं। लोग इसके बारे में कुछ ज्यादा ही सोचते हैं। फिर अभिनय करते समय हम अपने सह- कलाकार की उम्र के बारे में नहीं सोचते, सिर्फ पात्र के बारे में सोचते हैं।
इनमें से एक है तिग्मांशु धूलिया निर्देशित हालिया रिलीज ‘बुलेट राजा’, जिसमें उन्होंने पहली बार सैफ अली खान के साथ काम किया है। वहीं दूसरी फिल्म है 6 दिसंबर को रिलीज होने वाली प्रभु देवा निर्देशित ‘आर.. राजकुमार’, जिसमें उन्होंने पहली बार शाहिद कपूर के साथ काम किया है। शाहिद ऐसे कलाकार हैं, जिनकी ज्यादातर फिल्में बॉक्स ऑफिस पर असफल ही रही हैं, लेकिन सोनाक्षी की नजर में शाहिद प्रतिभाशाली कलाकार हैं। एक सप्ताह के अंतर पर दो-दो फिल्मों की रिलीज के बावजूद सोनाक्षी को कोई टेंशन नहीं है। एक के बाद एक आपकी दो फिल्में रिलीज हो रही हैं, कैसा लग रहा है?
बहुत उत्साहित हूं। दोनों ही फिल्में अलग-अलग ध्रुवों की हैं। दोनों फिल्मों के निर्देशक भी अलग-अलग छोर के हैं। ‘बुलेट राजा’ के निर्देशक तिग्मांशु धूलिया जहां रियलिटी सिनेमा बनाने में माहिर हैं, वहीं ‘आर.. राजकुमार’ के निर्देशक प्रभु देवा मनोरंजक कमर्शियल फिल्में बनाने में माहिर हैं। लगता है, आपको एक साथ कई फिल्मों की शूटिंग करने में महारत हासिल हो गयी है?
हां, ऐसा कह सकते हैं। एक साथ दो-तीन फिल्मों की शूटिंग करने की कला में माहिर हो चुकी हूं। पर आपने यह भी देखा होगा कि मैं हर फिल्म में एकदम अलग तरह के किरदार निभा रही हूं, इसलिए समस्या होने का सवाल ही नहीं उठता। ‘बुलेट राजा’ का किरदार किस तरह का है?
यह फिल्म एक तरफ दोस्ती की बात करती है तो दूसरी तरफ उसूलों वाले गैंगस्टर की कहानी कहती है। इसमें मैंने बंगाली लड़की मिताली का किरदार निभाया है, जो कोलकाता में रहने वाली एक स्ट्रगलिंग एक्ट्रेस है।
‘लुटेरा’ में बंगाली लड़की पाखी के बाद अब ‘बुलेट राजा’ में भी आपने बंगाली लड़की मिताली का किरदार निभाया है... ऊपरी तौर पर पाखी और मिताली बंगाली हैं, मगर दोनों ही किरदारों में जबरदस्त कंट्रास्ट है। ‘लुटेरा’ की पाखी 1950 के जमींदार परिवार की लड़की थी, जबकि ‘बुलेट राजा’ की मिताली एक संघर्षरत कलाकार है। मैं भी आज की लड़की हूं। मुझे अभिनेत्री बनने के लिए स्ट्रगल नहीं करना पड़ा, पर मिताली स्ट्रगल कर रही है। फिल्म ‘आर.. राजकुमार’ का किरदार क्या है?
एकदम राउडी किरदार है। वह ऐसे शहर में पली-बढ़ी है, जहां उसने बहुत वॉयलेंस देखा है, इसलिए वह खुद गुंडों से मुठभेड़ करती रहती है। उन्हें मारती रहती है। एक दिन उसकी मुलाकात राजकुमार से हो जाती है। उसके साथ उसका प्यार भी अलग ढंग का है। आपने अब तक कई निर्देशकों के साथ काम किया है। पसंदीदा निर्देशक कौन हैं?
मुझे सबसे ज्यादा प्रभु देवा और विक्रमादित्य मोटवानी के साथ काम करना पसंद है। फिल्म ‘लुटेरा’ के समय मैंने महसूस किया कि विक्रमादित्य मोटवानी के काम करने की शैली बहुत अलग है। वहीं प्रभु देवा उस तरह की फिल्में बनाते हैं, जिस तरह की फिल्में देखना मुझे पसंद है। उनके साथ मैंने पहले भी काम किया है, इसलिए उनके साथ एक कम्फर्ट लेवल बन गया है। वैसे तिग्मांशु धूलिया बहुत ही बेहतरीन निर्देशक व अच्छे इंसान हैं। फिल्मों में हीरोइनें बिकिनी पहन कर पानी में भीगती हैं या स्वीमिंग पुल से निकलती हैं, लेकिन ‘आर.. राजकुमार’ में आप तो साड़ी पहन कर..?
यह आइडिया निर्देशक प्रभु देवा का ही था कि साड़ी में ही पानी से बाहर निकलो। प्रभु सर का अंदाज ही कुछ ऐसा है कि वह हर फिल्म में कुछ न कुछ नयापन ले ही आते हैं। प्रभु सर को पता था कि मैं बिकिनी गर्ल नहीं हूं। मैं कभी भी बिकिनी नहीं पहनूंगी। फिल्म में आपने अपने पिता का तकिया कलाम ‘खामोश’ दोहराया है?
इस संबंध में मेरी मेरे पिताजी से या किसी से कोई बात नहीं हुई। फिल्म के निर्माता व निर्देशक ने इसे एक गाने में डाल दिया और जब मुझे गाना सुनाया तो पहले मुझे लगा कि वह मजाक कर रहे हैं, लेकिन उन्होंने इसे गाने में डाला था। फनी सिचुएशन थी और गाने के अंत में यह एकदम फिट भी बैठता था। फिल्म का ट्रेलर देख कर आपके पापा ने कुछ कहा?
उन्होंने देखा ही नहीं। वह तो अमेरिका में हैं। यह मेरे काम का हिस्सा है। परदे पर अभिनय करने के ही मुझे पैसे मिलते हैं। लोग इसके बारे में कुछ ज्यादा ही सोचते हैं। फिर अभिनय करते समय हम अपने सह- कलाकार की उम्र के बारे में नहीं सोचते, सिर्फ पात्र के बारे में सोचते हैं।
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