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के दशक में मुंबई में स्मग्लिंग से लेकर अपराध के हर तरीकों पर वरदराजन
मुदलियार, करीम लाला, मस्तान मिर्जा उर्फ़ हाजी मस्तान का नाम एक 'ब्रांड'
बन चुका था. इनके लिए ब्रांड शब्द का इस्तेमाल थोड़ा अटपटा जरुर लगता है,
लेकिन ये छोटा सा शब्द काली दुनिया के इनके बड़े साम्राज्य को समझने का बस
एक शॉर्टकट तरीका है.
वरदराजन
मुदलियार, हाजी मस्तान और करीम लाला के बाद जिस नाम ने इनकी जगह लेना शुरू
किया वो था 'दाउद इब्राहीम'. वैसे तो इस नाम से ज्यादातर लोग परिचित हैं
ही. सभी को पता है कि दाउद जिस कंपनी (गैंग) को चलाता है, उसे ही शॉर्ट में
'डी-कंपनी' भी कहा जाता है. दाउद पर आधारित अपनी इस श्रृंखला में हम आपको
कुछ ऐसी सच्चाइयों से रूबरू कराने जा रहे हैं जिन्हें कम ही लोग जानते हैं.
डर के साथ नफरत फैलाने वाला 'पहला डॉन'
मुंबई
में जो लोग अब तक डॉन के नाम से अपना प्रभाव रखते थे वो भले ही स्मग्लिंग
जैसे गैरकानूनी काम में लगे हुए थे, और उनके नाम का लोगों में डर था, लेकिन
दाउद इस दुनिया में उभरा ऐसा पहला नाम था जिसने डर के साथ नफरत फैलाने का
भी 'धंधा' शुरू किया. इसकी शुरुवात 1990 में उसके अफगानिस्तान जाने से ही
हो गई थी, लेकिन 12 मार्च 1993 को मुंबई में हुए सीरियल बॉम्ब ब्लास्ट ने
इस बात की आधिकारिक पुष्टि कर दी.
इसके
बाद तो उसका नाम देश ही नहीं पूरी दुनिया में चर्चा में आ गया. 2001 में
अमेरिका पर हुए आतंकी हमले से लेकर, 2003 में भारतीय संसद पर हमला, गुजरात
में ब्लास्ट जैसी वारदातों से उसका नाम जुड़ने लगा. जल्द ही पता चला कि उसके
सम्बन्ध अल-कायदा से लेकर ओसामा बिन लादेन तक से हैं.
दुनिया भर में बन गया आतंक का पर्याय
2003
में संयुक्त राष्ट्र संघ ने दाउद को 'अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी' घोषित
किया, जबकि 2003 में ही भारत ने भी आतंकियों की हिट लिस्ट में दाउद का नाम
सबसे ऊपर लिख दिया. अपराध और आतंक की उसकी दुनिया जिस तेजी से बढ़ रही थी,
उसी तेजी से उसकी बदनामी का ग्राफ भी उठ रहा था. 2008 में फ़ोर्ब्स ने
'दुनिया के 10 सबसे खूंखार अपराधियों' की सूची में दाउद का नाम शामिल
किया.
बढ़ते
आतंक और मासूमों को निशाना बनाने का उसका यह खेल भले ही बहुत तेजी से पनप
रहा था, लेकिन बढ़ रहे अत्याचार ने अपने ही गैंग में उसका सबसे बड़ा विरोधी
पैदा कर दिया. इस शख्स ने दाउद के मजबूत किले में ऐसी सेंध लगाई कि एक-एक
कर इसकी दीवारें ढहने लगीं.
'सुपारी
किलर...' की अगली कड़ी में जानिए क्यों और कैसे इस अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी
की जड़ों को खोदने का काम उसके ही एक गुर्गे ने किया...
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