Wednesday, 8 January 2014

कार्यालय पर हमला: केजरीवाल ने मकसद पर उठाए सवाल

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आम आदमी पार्टी के कौशांबी स्थित मुख्यालय पर आज पूर्वाह्न हुए हमले के कुछ ही घंटे बाद मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने उपद्रवी तत्वों के मकसद पर सवाल उठाया और हैरत जताई कि क्या वे उन्हें और प्रशांत भूषण को मारना चाहते थे क्योंकि भूषण ने कश्मीर पर टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा कि चलिये, हम यह मान लेते हैं कि प्रशांत भूषण ने वाकई कुछ आपत्तिजनक बात कही है। लिहा जा वे क्या चाहते हैं। क्या वे प्रशांतजी को मारना चाहते हैं।
केजरीवाल ने कहा कि हमने अपनी पार्टी का रुख स्पष्ट कर दिया है तथा उन्होंने (भूषण) भी कई बार कहा है कि उनकी राय को गलत ढंग से पेश किया गया। उन्होंने यहां तक कहा था कि वह जनमत संग्रह नहीं चाहते। केजरीवाल ने यह भी कहा कि क्या वे मुझे भी मारना चाहते हैं। कश्मीर पर अपना रुख दोहराते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वह भारत का अभिन्न अंग है तथा कोई भी इसे देश से अलग नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों में सेना की तैनाती का मामला आतंरिक सुरक्षा आकलन के आधार पर सरकार तय करती है। ऐसे फैसलों में स्थानीय जनता की भावनाओं का सम्मान किया जाना चाहिए। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि जनमत संग्रह से मुद्दे का समाधान नहीं निकाला जा सकता है। केजरीवाल ने यह भी कहा कि कोई भी भगवान ऐसी सेना नहीं बना सकता जो लोगों के घरों और कार्यालयों पर हमला करे। यह भगवान राम के सिद्धांतों के विरुद्ध है। मैं भी एक हिन्दू हूं। दक्षिणपंथी समूह हिन्दू रक्षा दल के कार्यकर्ताओं ने आज आप मुख्यालय पर हमला कर तोड़फोड़ की। यह हमला कश्मीर में जनमत संग्रह के बारे में भूषण की टिप्पणी के खिलाफ प्रदर्शन के तौर पर हुआ। आप कार्यालय के बाहर करीब 40 कार्यकर्ताओं ने गमले तोड़े एवं पोस्टर फाड डाले। हमले में कांच के कुछ दरवाजों को भी तोड़ दिया गया।

देहरादून एक्सप्रेस में आग, रेलवे ने की अनुदान की घोषणा

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रेल मंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे ने मुंबई-देहरादून एक्सप्रेस ट्रेन में आग हादसे में लोगों की मौत पर आज दुख व्यक्त किया और मृतकों के परिजनों को पांच-पांच लाख रुपये का अनुदान देने की घोषणा की।
   
रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष अरुणेंद्र कुमार ने कहा कि रेल मंत्री ने घटना पर गहरा दुख व्यक्त कि या है और इस दुर्भाग्यूपर्ण घटना में मरने वाले लोगों के परिजनों को पांच-पांच लाख रुपये तथा गंभीर रूप से घायल हुए लोगों को एक-एक लाख रुपये का अनुदान देने की घोषणा की है। मामूली रूप से घायल लोगों को 50-50 हजार रुपये की राशि दी जाएगी।
  
कुमार ने कहा कि रेलवे सुरक्षा आयुक्त आग लगने की घटना की जांच करेंगे। महाराष्ट्र के ठाणे जिले में आज तड़के दहानु मार्ग के पास मुंबई-देहरादून एक्सप्रेस ट्रेन के तीन डिब्बों में आग लगने से 9 लोगों की मौत हो गई।
कुमार ने कहा कि आग के कारणों का अभी पता लगाया जाना है। हालांकि, आग पर काबू पा लिया गया है और ट्रेन अपने आगे के गंतव्य के लिए रवाना हो गई है। उन्होंने बताया कि गार्ड की मुस्तैदी के चलते बड़ नुकसान होने से टल गया। प्रभावित डिब्बों को ट्रेन से अलग कर दिया गया है और ट्रेन आगे के गंतव्य के लिए रवाना हो गई है।

Wednesday, 25 December 2013

कालिस ने टेस्ट क्रिकेट को कहा अलविदा

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दक्षिण अफ्रीका के आलराउंडर जाक कैलिस भारत के खिलाफ गुरुवार से डरबन में शुरू हो रहे दूसरे टेस्ट के बाद टेस्ट और प्रथम श्रेणी क्रिकेट को अलविदा कहेंगे। कैलिस वनडे मैचों में चयन के लिए उ पलब्ध रहेंगे। कालिस ने अब तक 165 मैचों में 13174 रन बनाए हैं और उन्होंने 292 विकेट हासिल किए हैं।
कालिस ने संन्यास की घोषणा के बाद अपने बयान में कहा कि यह आसान फैसला नहीं था लेकिन यह सही समय था। मैं क्रिकेट को पूरी तरह अलविदा कहना नहीं चाहता हूं। यदि मैं फिट रहा और प्रदर्शन करता रहा तो मैं वर्ल्ड कप 2015 में देश का प्रतिनिधित्व करना चाहूंगा। उन्होंने कहा कि 18 साल तक दक्षिण अफ्रीका से जुड़े रहना मेरे लिए सम्मान की बात है। 

रामलीला मैदान में 28 दिसंबर को शपथ लेंगे केजरीवाल

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कार्यकर्ता से राजनेता बने अरविंद केजरीवाल दिल्ली के सातवें मुख्यमंत्री के तौर पर ऐतिहासिक रामलीला मैदान में शनिवार को शपथ ग्रहण करेंगे। उनकी आम आदमी पार्टी ने हाल के विधानस भा चुनाव में दिल्ली में शानदार जीत हासिल की है।
    
मुख्य सचिव डी एम सपोलिया के साथ बैठक के बाद केजरीवाल ने शपथ ग्रहण समारोह की तारीख की घोषणा की। दिल्ली सरकार में शीर्ष अधिकारियों ने बताया कि केजरीवाल और आप के छह विधायक रामलीला मैदान में एक सार्वजनिक समारोह में दोपहर 12 बजे शपथ ग्रहण करेंगे। यह वही जगह है जहां से दो वर्ष पहले अन्ना हजारे ने भ्रष्टाचार निरोधी आंदोलन का बिगुल फूंका था।
    
केजरीवाल के साथ जो लोग शपथ लेंगे, उनमें मनीष सिसोदिया, राखी बिरला, सोमनाथ भारती, सौरभ भारद्वाज, गिरीश सोनी और सतेन्द्र जैन शामिल हैं।
    
हरियाणा में जन्मे और उत्तर प्रदेश के दिल्ली से सटे गाजियाबाद जिले के कौशांबी इलाके में रहने वाले अरविंद केजरीवाल आईआईटी खडगपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक हैं। उन्होंने तीन बार की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को नयी दिल्ली विधानसभा क्षेत्र से 25,000 से अधिक वोट से हराया।
    
45 वर्षीय केजरीवाल ने सोमवार को दिल्ली के उप राज्यपाल नजीब जंग से भेंट की और उन्हें कांग्रेस के बाहरी समर्थन के साथ दिल्ली में सरकार बनाने का दावा करने संबंधी पत्र सौंपा।
    
इसके बाद जंग ने आप के सरकार बनाने के दावे के बारे में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को प्रस्ताव भेजा। राष्ट्रपति से उस प्रस्ताव पर कल मंजूरी मिली और उन्होंने नामित मुख्यमंत्री के साथ सलाह मश्वरे से शपथ ग्रहण समारोह की तारीख को अंतिम रूप देने का काम उप राज्यपाल पर ही छोड़ दिया।
    
दिल्ली की सियासत में महज एक वर्ष पुरानी आप ने 70 सदस्यीय विधानसभा में जिस धमाकेदार ढंग से जगह बनाई है, उसकी मिसाल मिलना मुश्किल है। आप के जलवा ओ जलाल का ही असर था कि कांग्रेस को सिर्फ आठ सीटें ही मिल पाईं। भाजपा को 31 और उसके सहयोगी शिरोमणि अकाली दल को एक सीट मिली, लेकिन पार्टी ने बहुमत न होने की बात कहकर सरकार बनाने से इंकार कर दिया।
    
आप के सूत्रों का कहना है कि अन्ना हजारे, किरण बेदी, संतोष हेगड़े और भ्रष्टाचार निरोधक आंदोलन से जुड़े तमाम लोगों को शपथ ग्रहण शो में बुलाया जाएगा।
    
केजरीवाल ने पिछले वर्ष गांधी जयंती के मौके पर 2 अक्टूबर को आप के गठन का ऐलान किया था और 26 नवंबर को औपचारिक रूप से पार्टी की शुरुआत की। 1949 में इसी दिन भारत ने अपने संविधान को मंजूरी दी थी।
    
पार्टी का नाम आम आदमी से जुड़ाव की ओर इशारा करता है और केजरीवाल ने इसी वर्ग को अपनी सियासत के केन्द्र में रखा। पार्टी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में सभी 70 क्षेत्रों के लिए अलग अलग घोषणापत्र तैयार किए। उम्मीदवारों का चयन करते समय उनकी आपराधिक पृष्ठभूमि की जांच की गई और पार्टी ने इमानदार लोगों को टिकट देने का दावा किया।
    
26 बरस की बिरला से लेकर 41 बरस के सिसोदिया सहित दिल्ली की यह केबिनेट न सिर्फ सबसे कम उम्र के मंत्रियों वाली होगी, संभवत: यह भी पहली बार होगा कि मुख्यमंत्री सहित केबिनेट के सदस्य पहली बार विधायक बने हैं।
    
आप की झाडू ने दिल्ली से कांग्रेस की ऐसी सफाई की कि बिरला ने मंगोलपुरी में दिल्ली सरकार के चार बार के विधायक और शीला दीक्षित की सरकार में लोक निर्माण मंत्री राज कुमार चौहान को 10,500 वोटों से बुहारकर विधानसभा से बाहर सरका दिया। आप में शामिल होने से पहले बिरला एक निजी समाचार चैनल के लिए काम करती थीं।
    
केजरीवाल के भरोसेमंद सिपहसालार सिसोदिया को 2011 में अन्ना हजारे के जन लोकपाल विधेयक के लिए चलाए गए आंदोलन के दौरान मकबूलियत हासिल हुई। टीम केजरीवाल के मजबूत स्तंभ माने जाने वाले सिसोदिया पत्रकार से कार्यकर्ता बने और फिर राजनीति में उतरे। उन्होंने पूर्वी दिल्ली की पटपड़गंज सीट से नकुल भारद्वाज को 11,000 वोट से हराया।
    
केजरीवाल की टीम का एक और चेहरा सौरभ भारद्वाज हैं। इंजीनियरिंग स्नातक सौरभ ने कानून की पढ़ाई भी की है। 34 वर्षीय सौरभ ने भाजपा के अनुभवी नेता विजय कुमार मलहोत्रा के पुत्र अजय कुमार मलहोत्रा को ग्रेटर कैलाश सीट से 13000 वोट से हराया।
    
केजरीवाल की केबिनेट में सोमनाथ भारती भी आईआईटी से पढ़े हैं। उन्होंने आईआईटी, दिल्ली से मास्टर्स की डिग्री ली है और कानून की डिग्री भी उनके पास है। 30 वर्षीय सोमनाथ ने भाजपा की आरती मेहरा और दिल्ली सरकार में मंत्री किरण वालिया को हराया।
    
केबिनेट में शामिल किए जाने वाले शकूर बस्ती (नार्थ) से विधायक जैन पेशे से आर्किटेक्ट हैं। मादीपुर से विधायक गिरीश सोनी ने आप के बिजली पानी आंदोलन में भाग लिया था और उन्होंने लोगों को इस आंदोलन से जोड़ने का काम किया।

Tuesday, 24 December 2013

वर्ष 2013 में विवाद पैदा करने वाले 10 बयान

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जुबान चली और विवादों ने सर उठा लिया। अंत की ओर अग्रसर हो रहे वर्ष 2013 में कई बार चर्चित हस्तियों के मुंह से निकले शब्दों ने उन्हें विवादों के घेरे में खड़ा कर दिया। चाहे वह राहुल गां धी हों, नरेंद्र मोदी हो या फिर सुशील कुमार शिंदे या फारूक अब्दुल्ला, शब्दों ने मुसीबत पैदा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
पेश हैं वर्ष 2013 के ऐसे टॉप 10 बयान: सितंबर माह में दोषी सांसदों संबंधी विवादास्पद अध्यादेश को कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने सार्वजनिक रूप से बकवास बताकर कूड़े में फेंक देने की बात कही जिसे विपक्ष ने सीधे सीधे प्रधानमंत्री की अवज्ञा करार दिया। बाद में अध्यादेश तथा संबद्ध विधेयक को सरकार ने वापस ले लिया। भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी तथ्यात्मक भूलों की वजह से विवादों में घिरे। नवंबर में राजस्थान के दूदू में एक जनसभा में मोदी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का नाम मोहनदास करमचंद गांधी के स्थान पर कथित तौर पर मोहनलाल करमचंद गांधी बोल गए। इससे पहले उन्होंने खेड़ा में एक संबोधन में कहा था कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी एक क्रांतिकारी थे। 1930 में उनका निधन हुआ। उनकी अंतिम इच्छा थी कि उनकी अस्थियां आजादी के बाद भारत वापस लाई जाएं लेकिन कांग्रेस सरकार अस्थियां वापस नहीं लाई। उन्होंने कहा था मैं 2003 में वह अस्थियां भारत वापस लेकर आया। इस दौरान वह श्यामा प्रसाद मुखर्जी और श्यामाजी कृष्णा वर्मा के बीच भ्रमित हो गए और जब उन्हें उनकी गलती के बारे में बताया गया तो उन्होंने स्पष्ट किया कि वह श्यामाजी कृष्ण वर्मा की बात कर रहे थे। इससे पहले जुलाई में साल 2002 के गुजरात दंगों से जुड़े एक सवाल पर मोदी ने कथित तौर पर कहा था कि यदि कोई पिल्ला भी कार के पहिये के नीचे आ जाए तो उन्हें दुख होगा। सपा, माकपा, जदयू ने कहा कि मोदी ने मुसलमानों की तुलना पिल्ले से की और उन्हें इस अपमानजनक टिप्पणी के लिए माफी मांगनी चाहिए।

जनवरी में भाजपा और आरएसएस पर केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने आतंकवादी प्रशिक्षण शिविरों का संचालन करने और हिन्दू आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया और उनके निशाने पर आ गए।
   
मार्च में शिंदे ने राज्यसभा में बहस के दौरान महाराष्ट्र के भंडारा में हुए बलात्कार कांड की 3 नाबलिग पीड़ितों का नाम लिया और फिर आलोचना से घिर गए। जुलाई में कांग्रेस के महासचिव शकील अहमद ने कथित तौर पर कहा कि गुजरात दंगों के कारण आतंकी संगठन आईएम बना। इस टिप्पणी को लेकर भाजपा ने कांग्रेस पर वोट बैंक की राजनीति के चलते साम्प्रदायिक कार्ड खेलने का आरोप लगाया। नवंबर में सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्हा विवादों में घिर गए। उन्होंने एक परिचर्चा में कथित तौर पर कहा था कि देश में सट्टेबाजी को वैधानिक दर्जा दिए जाने में कोई हानि नहीं है। इस संदर्भ में बातचीत में वह यह बयान दे बैठे कि अगर आप दुष्कर्म की घटनाओं को नहीं रोक सकते तो इनका आनंद उठाना चाहिए। इस पर विवाद खड़ा हो गया। उनकी व्यापक आलोचना हुई और महिला आयोग ने उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया। बाद में उन्होंने माफी मांगी। केन्द्रीय मंत्री फारूक अब्दुल्ला दिसंबर के पहले हफ्ते में यह कह कर विवादों में घिर गए कि महिला निजी सचिवों को रखना जोखिम का काम हो गया है, क्योंकि किसी ने अगर यौन शोषण की शिकायत कर दी तो जेल की हवा खानी पड़ सकती है। विभिन्न दलों के नेताओं और अलग अलग संगठनों ने फारूक की कड़ी आलोचना की। मार्च में केंद्रीय मंत्री बेनीप्रसाद वर्मा ने सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के बारे में कथित तौर पर कहा कि वह (यादव) कमीशन लेकर समर्थन (सरकार को) देते हैं। बेनी के इस बयान से उठे बवाल के बाद कांग्रेस नेतृत्व ने कड़ा रुख किया और बेनी ने अपनी टिप्पणी पर खेद जताया। 16 दिसंबर के सामूहिक बलात्कार मामले में 14 सितंबर को दोषियों को मौत की सजा देने के अदालत के फैसले के बाद बचाव पक्ष के वकील एपी सिंह यह कह कर विवादों में घिर गए कि अगर उनकी बेटी के विवाहपूर्व किसी से संबंध होते और रात को वह अपने पुरुष मित्र के साथ घूमती तो वह उसे जिंदा जला देते। दिल्ली बार काउंसिल, विभिन्न गैर सरकारी संगठनों और लोगों ने उनकी कड़ी आलोचना की।
  
जनवरी में प्रख्यात लेखक आशीष नंदी की इस टिप्पणी से बवाल उठा कि अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लोग सर्वाधिक भ्रष्ट हैं। इसकी हर ओर से आलोचना हुई। इसी माह पश्चिम बंगाल के राज्यपाल एम के नारायणन ने कथित तौर पर कहा कि ममता बनर्जी सरकार की गुंडागर्दी चल रही है। इस पर तृणमूल कांग्रेस ने उन पर अफवाह फैलाने का आरोप लगा दिया।
  
पूर्व सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह के इस दावे ने खासा राजनीतिक भूचाल उठ गया कि सेना जम्मू कश्मीर के कुछ मंत्रियों को धन देती है। बाद में सिंह ने कहा कि धन का उपयोग राज्य में सौहार्द और स्थिरता लाने के लिए किया गया और इसका दुरुपयोग नहीं हुआ।

मैं कुछ भी नहीं कहना चाहता: जस्टिस गांगुली

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कानून की एक पूर्व इंटर्न का यौन उत्पीड़न करने के आरोपी सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश अशोक कुमार गांगुली ने मंगलवार को कहा कि वह उसके ब्लॉग पर टिप्पणी नहीं करें गे जिसमें एक पुलिस शिकायत दर्ज कराने का संकेत दिया गया है।

आरोपों से इनकार करने के लिए इंटर्न ने गांगुली पर पलटवार किया था। इंटर्न ने अपने ब्लॉग लीगली इंडिया में लिखा है, जो लोग अफवाह फैला रहे हैं और मुद्दे का राजनीतिकरण कर रहे हैं वे ऐसा प्रतिकूल प्रभाव डालने और द्वेषपूर्ण रूप से इस मुद्दे को उलझाने तथा जांच और जवाबदेही से बचने के लिए कर रहे हैं।

इंटर्न ने पुलिस शिकायत दर्ज कराने का संकेत देते हुए कहा कि मैं यह अनुरोध करती हूं कि यह स्वीकार किया जाए कि मुझमें उचित प्रक्रियाओं को उचित समय पर आगे बढ़ाने का विवेक है। मैं यह कहना चाहती हूं कि मेरी स्वायत्तता का पूर्ण रूप से सम्मान किया जाए।

यह पूछे जाने पर कि क्या विरोध प्रदर्शन और विभिन्न क्षेत्रों की ओर से डाले जा रहे दबाव राजनीतिक रूप से प्रेरित हैं, पूर्व न्यायाधीश गांगुली ने कहा कि मैं इस मामले पर कुछ भी नहीं कहना चाहता। मेरी कोई प्रतिक्रिया नहीं है।

न्यायमूर्ति गांगुली ने एक आठ पृष्ठों वाला पत्र भारत के प्रधान न्यायाधीश पी सदाशिवम को लिखा है जिसमें उन्होंने इंटर्न का यौन उत्पीड़न करने से इनकार किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें उनकी छवि धूमिल करने की एक स्पष्ट साजिश दिखती है क्योंकि उन्होंने शक्तिशाली हितों के खिलाफ फैसले दिये थे। उन्होंने पश्चिम बंगाल के मानवाधिकार आयोग का अध्यक्ष पद छोड़ने से भी इनकार किया।

...जानिए इंजीनियर से नेता कैसे बन गए अरविंद केजरीवाल

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इससे पहले पार्टी की राजनीतिक मामलों की समिति की सुबह दो घंटे तक बैठक चली। इसमें जनमत संग्रह को देखते हुए सरकार बनाने का फैसला किया गया। केजरीवाल ने दोपहर करीब सवा 12 बजे उपराज्यपाल नजीब जंग से मिलकर उन्हें सरकार बनाने का दावा करने संबंधी पत्र सौंप दिया। केजरीवाल और नजीब जंग के बीच मुलाकात करीब 50 मिनट चली। उपराज्यपाल ने यह पत्र राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को भेज दिया है।   रामलीला मैदान में लेंगे शपथ
उपराज्यपाल से मुलाकात के बाद अरविंद केजरीवाल ने बताया कि शपथ ग्रहण समारोह रामलीला मैदान में होगा। उपराज्यपाल के मुताबिक राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद शपथ ग्रहण समारोह के दिन और समय का फैसला किया जाएगा। जानिए कौन हैं अरविंद केजरीवाल
पैंट के साथ बाहर करके पहनी गई आधी बाजू की ढीली ढाली शर्ट, काली मूंछों वाला एक नाटे कद का साधारण सा दिखने वाला आदमी। जो कभी ट्रेन का इंतजार करता प्लेटफॉर्म पर जमीन पर सोते नजर आता, तो कभी ऑटो के लिए सड़क पर इंतजार करता। एक ऐसी शख्सियत, जिसकी भीड़ में कोई पहचान नहीं है। लोग 45 साल के इस शख्स को अरविंद केजरीवाल के नाम से जानते हैं। जो कभी इनकम टैक्स विभाग में अधिकारी हुआ करता था, लेकिन साधारण सी कद काठी वाला यह शख्स कब दिल्ली की सबसे ताकतवर कुर्सी का दावेदार बन गया, यह बाकी पार्टियों को भी पता नहीं चला। हरियाणा के भिवानी जिले के सीवानी मंडी में 16 अगस्त 1968 को गोविंद राम केजरीवाल और गीता देवी के घर जन्माष्टमी के दिन अरविंद का जन्म हुआ और इसीलिए घरवाले प्यार से उन्हें किशन भी बुलाते हैं। हिसार से ही अरविंद ने अपनी हाईस्कूल तक की पढ़ाई पूरी की। देश के नामी गिरामी भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान खड़गपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग करने के बाद केजरीवाल ने कुछ समय टाटा स्टील में नौकरी की। वह वर्ष 1989 में टाटा स्टील से जुड़े और वर्ष 1992 में कंपनी को अलविदा कह दिया। उन्होंने कुछ समय कोलकाता के रामकृष्णन आश्रम और नेहरू युवा केन्द्र में बिताया। यूपीएससी में इंटरव्यू देने से पहले अरविंद केजरीवाल कोलकाता गए थे। कोलकाता में उनकी मुलाकात मदर टेरेसा से हुई। अरविंद ने कालीघाट पर काम किया और शायद यहीं से उन्हें दूसरों के लिए जीने का नजरिया मिला। 1995 में अरविंद इंडियन रेवेन्यू सर्विस के लिये चुने गये थे। ट्रेनिंग के बाद दिल्ली में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में अस्सिटेंट कमिश्नर बने। लेकिन यहां भी अपने लिये उन्होंने खुद नियम बनाये। वो नियम थे, अपनी टेबल को खुद साफ करना, डस्टबिन की गंदगी को खुद हटाना, किसी काम के लिये चपरासी का इस्तेमाल नहीं करना। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में नौकरी करते हुये ही केजरीवाल ने डिपार्टमेंट में भ्रष्टाचार कम करने की मुहिम शुरु कर दी थी। आईआरएस सेवा के प्रशिक्षण के दौरान ही केजरीवाल ने अपनी बैचमेट सुनीता से विवाह किया। केजरीवाल के एक पुत्र और एक पुत्री है। साल 2000 में केजरीवाल ने परिवर्तन नाम के एक एनजीओ की शुरुआत की। बैनर पोस्टर छपवाये। जिन पर लिखा था रिश्वत मत दीजिये, काम न हो तो हमसे संपर्क कीजिये। परिवर्तन के जरिए उन्होंने देश भर में सूचना के अधिकार का अभियान चलाया। बिल बेशक केंद्र सरकार ने पारित किया हो, लेकिन जनता के बीच जाकर उन्हें जागृत करने का जिम्मा अरविंद और उनके परिवर्तन ने उठाया। अरविंद को 'राइट टू इन्फॉरमेशन' पर काम के लिये एशिया का नोबल पुरस्कार कहा जाने वाला मैग्सेसे अवार्ड मिला। परिवर्तन की लड़ाई का ही अगला चरण था जनलोकपाल। यह सिलसिला बढ़ता गया और केजरीवाल ने फरवरी 2006 में नौकरी से इस्तीफा दे दिया और पूरे समय के लिए सिर्फ परिवर्तन में ही काम करने लगे। इसके बाद देश में शुरू हुआ भ्रष्टाचार के खिलाफ सबसे बड़ा आंदोलन। आंदोलन को जनसमर्थन तो पूरा मिला, लेकिन जनलोकपाल बिल नहीं बन पाया। केजरीवाल ने राजनीति में आने का फैसला किया। यहीं से अन्ना हजारे और केजरीवाल के रास्ते अलग हो गए, लेकिन केजरीवाल अन्ना के बिना भी आगे बढ़ते गए। 26 नवंबर 2012 में केजरीवाल की आम आदमी पार्टी अस्तित्व में आई। महज एक साल पहले पैदा हुई आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में काबिज कांग्रेस और बीजेपी को कड़ी टक्कर दी। केजरीवाल ने मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के खिलाफ चुनाव लड़ने की घोषणा करके सबको चौंका दिया। राजनीतिक पंडित उनके इस फैसले को लेकर अचंभित हो गए। ऐसी चर्चा होने लगी कि केजरीवाल ने अपना राजनीतिक सफर शुरू होने से पहले ही खत्म कर लिया, लेकिन दिसम्बर में हुए विधानसभा चुनाव में उन्होंने सभी को आश्चर्यचकित कर दिया। उन्होंने नई दिल्ली विधानसभा सीट से दीक्षित को 23 हजार से अधिक मतों से पराजित कया और उनकी पार्टी ने 70 सदस्यीय विधानसभा में 28 सीटें हासिल की। केजरीवाल ने 'स्वराज' नाम से एक पुस्तक भी लिखी है। यह पुस्तक 2012 में प्रकाशित हुई।